MP News: मध्य प्रदेश के सागर जिले में ढाना रेंज के हिलगन गांव के पास जंगल में एक टाइगर मृत अवस्था में मिला है. बाघ की मौत ने एक बार फिर वन्यजीव संरक्षण पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सुबह ग्रामीणों की नजर जब बाघ के शव पर पड़ी तो इलाके में हड़कंप मच गया. सूचना मिलते ही वन विभाग का अमला मौके पर पहुंचा और जांच शुरू की. दक्षिण वन मंडल की एसडीओ कविता जाटव के अनुसार बाघ के शरीर पर फिलहाल किसी तरह के चोट के निशान नहीं मिले हैं.
करंट वायर की वजह से हुई बाघ की मृत्यु
बाघ के पोस्टमार्टम को विशेषज्ञ वन्यजीव चिकित्सक के द्वारा किया गया है. वहीं वन्यजीव बाघ के शरीर के सभी अंग सुरक्षित पाए गए. वन्यजीव चिकित्सक की टीम के द्वारा शव परीक्षण के दौरान बाघ नर की मृत्यु करंट वायर से होने की संभावना बताई गई है. इसके बाद शासन द्वारा जारी एसओपी अनुसार शवदाह की कार्रवाई की फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी भी की गई. विस्तृत शव परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. वहीं, मामले में वन अपराध विभाग ने केस दर्ज कर लिया है.
बाघ की पहचान की कोशिश जारी
बाघ की मौत से मचे बवाल के बाद जांच के लिए जबलपुर से वाइल्ड लाइफ एसटीएफ की टीम भी जांच के लिए सागर आई हुई है. जिस स्थान पर बाघ मृत मिला वहां पर अभी तक कोई भी पगमार्क नहीं मिले हैं. वहीं इसके, अलावा पन्ना टाइगर रिजर्व की भी टीम जांच के लिए आ रही है. ये टीमें पूरे मामले की जांच अलग-अलग स्तर पर काम करेगी और घटनास्थल के आसपास के लोगों से भी पूछताछ जारी है.
15 दिन में 7 बाघों की मौत
टाइगर स्टेट कहलाने वाले मध्य प्रदेश में बीते एक पखवाड़े में ही सात बाघों की मौत हो चुकी है. वर्ष 2025 में 28 दिसंबर तक प्रदेश में बाघों की मौत का आंकड़ा 55 तक पहुंच गया है जो प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत के बाद किसी एक वर्ष में अब तक का सबसे अधिक आंकड़ा माना जा रहा है. आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2021 में 34, 2022 में 43, 2023 में 45 और 2024 में 46 बाघों की मौत दर्ज की गई थी. वहीं, केवल छह वर्षों में कुल 269 बाघों की मृत्यु हो चुकी है. इनमें से कई मौतें संजय दुबरी, बांधवगढ़, कान्हा, पेंच, सतपुड़ा, रातापानी और बालाघाट जैसे क्षेत्रों में सामने आई हैं.
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