मुक्ति प्राप्ति की कला सिखाता है भागवत: दिव्‍य मोरारी बापू    

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि मृत्यु से पहले मुक्ति-भागवत तो मृत्यु के पहले ही मुक्ति प्राप्ति की कला सिखाता है. मृत्यु के बाद मुक्ति मिलेगी या नहीं- इसका किसको पता? अतः मृत्यु के पहले ही मुक्त होने का उपाय प्राप्त कर लो.

भागवत कहता है कि भगवद् प्रेम-भाव ही शरीर और इन्द्रियों की हाजिरी में जीवन-मुक्ति प्राप्त करने की कुंजी है. भगवान वेदव्यास जी के मन में यह अभिलाषा थी कि घर में रहने वाले सांसारिक जीवन को भी ब्रह्मानंद की प्राप्ति हो और उनका भी कल्याण हो – ऐसा कोई उपाय ढूंढ़ा जाय. यह उपाय उन्हें भागवत द्वारा मिल गया और इसीलिए भागवत की रचना के बाद कृतार्थ की भावना से परम संतोष का अनुभव करते हुए व्यास जी ने अपनी लेखनी रख दी.

प्रभु का वियोग ही सबसे बड़ा रोग है. प्रत्येक में प्रभु का दर्शन करना ही इसकी औषधि है. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

 

		

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