Delhi: भारत के प्रमुख सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पर्व दीपावली को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत यूनेस्को की सूची में शामिल करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. दिवाली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने की औपचारिक घोषणा आज यानी 10 दिसंबर को दिल्ली के लाल किले पर आयोजित एक समारोह में की जाएगी. सरकार लाल किले पर जश्न मनाएगी.
दिल्ली में उत्सव जैसा माहौल
दिल्ली इस समय यूनेस्को की 20वीं अंतर-सरकारी समिति की बैठक की मेजबानी कर रही है. दुनिया भर से आए प्रतिनिधियों के बीच लाल किला मुख्य आयोजन स्थल बना हुआ है. यहां पारंपरिक कला, सांस्कृतिक कार्यक्रम और दीयों की विशेष सजावट सभी का ध्यान खींच रही है. शहर के प्रमुख सरकारी भवनों को रोशनी से सजाया जा रहा है और सार्वजनिक स्थानों पर दीये लगाए जा रहे हैं. कई जिलों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी तैयारी चल रही है.
शाम 5 बजे दिल्ली हाट में कार्यक्रम
दिल्ली के संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा ने बताया कि दिल्ली सरकार भी अपने स्तर पर दिल्ली हाट में दिवाली समारोह आयोजित करेगी. आज शाम 5 बजे रेखा गुप्ता यहां दिया जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत करेंगी. यह पूरा आयोजन दिवाली को भारत की सांस्कृतिक पहचान के रूप में दुनिया के सामने पेश करने का हिस्सा है और यूनेस्को सूची में शामिल होना इस प्रयास को और मजबूत बनाता है.
एक और अंतरराष्ट्रीय मान्यता
भारत ने दिवाली का नामांकन वर्ष 2024 में भेजा था. लाल किले में चल रही यूनेस्को समिति की बैठक में इस प्रस्ताव पर विचार किया गया और आज दिवाली को आधिकारिक रूप से सूची में शामिल कर लिया गया. इससे पहले दुर्गा पूजा, गरबा, कुंभ मेला, योग, वैदिक मंत्रोच्चार और रामलीला जैसी परंपराएं यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल हो चुकी हैं. दिवाली के जुड़ने से अब भारत की कुल प्रविष्टियों की संख्या 16 हो गई है. यह मान्यता भारत की सांस्कृतिक प्रतिष्ठा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत करती है.
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