Delhi: दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण का संकट गहराता जा रहा है. क्षेत्र की वायु गुणवत्ता काफी खराब हो गई है. इस हालात का बड़ा कारण पराली जलाने को बताया जा रहा है. अब इस मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है कि देश की सर्वोच्च अदालत यानी कि सुप्रीम कोर्ट प्रदूषण के मुद्दे पर आगामी 12 नवंबर को सुनवाई करेगी. आइए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में क्या कुछ कहा गया.
क्यों खराब हो रही दिल्ली की हवा?
गुरुवार को भी दिल्ली की हवा बहुत खराब दर्ज की गई थी.इसकी एक बड़ी वजह पराली को भी माना जा रहा है. गुरुवार को हवा में पराली से होने वाले प्रदूषण का प्रतिशत 21.25 था, जो कि शुक्रवार को 38.89 फीसदी रहने की आशंका जताई गई है. गुरुवार को सुबह से ही धुंध की काली चादर छाई हुई थी, जिसकी वजह से ठीक से दिखाई तक नहीं दे रहा था. प्रदूषण की वजह से आंखों में जलन भी महसूस की गई.
दिल्ली में बुरे हैं हालात
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता में दो दिनों तक सुधार देखने को मिला था. हालांकि, मामूली सुधार के बाद गुरुवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता फिर से खराब हो गई और ये ‘बहुत खराब’ कैटेगरी में पहुंच गई. माना जा रहा है कि निकट भविष्य में इससे राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, गुरुवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 311 दर्ज किया गया है.
हर साल ठंड में हो जाती है समस्या
बता दें कि राजधानी में ठंड के मौसम में वायु प्रदूषण की परेशानी सबसे गंभीर स्तर पर पहुंच जाती है. इस मौसम में हवाओं का शांत होना, तापमान का गिरना और पराली जलाने से निकलने वाला धुआं होने के कारण आपातकाल जैसी स्थिति पैदा हो जाती है. पिछले आंकड़े बताते हैं कि पराली की आग आमतौर पर नवंबर के पहले हफ्ते में चरम पर होती है, पिछले साल एक दिन में यह 35% और 2021 में 48% तक पहुंच गई थी.
आपको बता दें कि AQI को 0 से 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है.
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