Delhi: दिल्ली सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने की इजाजत देने के लिए कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी. साल 1954 में लागू हुए दिल्ली शॉप्स एंड एस्टैब्लिशमेंट एक्ट के बाद यह पहली बार है, जब महिलाओं के लिए रात के वक्त कामकाज को कानूनी और संरक्षित ढंग से स्वीकृति मिली है. इससे जहां महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण को मजबूती मिलेगी, वहीं रोजगार भी बढ़ेगा.
कार्य करने की अनुमति
इस अधिनियम की धारा 14, 15 एवं 16 के अनुसार महिलाओं को (गर्मी के मौसम में) रात 9 बजे से सुबह 7 बजे तक व (सर्दी के मौसम में) रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक कार्य करने की अनुमति नहीं है. लेकिन अब इसमें परिवर्तन कर दिया गया है.
मुख्यमंत्री ने आगे जानकारी दी कि महिला कल्याण हमारे एजेंडे में सबसे ऊपर है. हम विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कामकाजी महिलाओं के आर्थिक उत्थान को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कार्य कर रहे हैं.
इन राज्यों में पहले से लागू है नियम
सीएम रेखा गुप्ता के अनुसार हरियाणा, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु आदि में यह छूट पहले से ही जारी है. अब इसे देश की राजधानी दिल्ली में भी लागू किया जा रहा है, क्योंकि दिल्ली सरकार महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को अपनी नीति की केंद्रीय प्राथमिकता मानती है.
मुख्यमंत्री ने बताया बदलाव का बड़ा कदम
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस नीति को दिल्ली को 24×7 बिजनेस हब बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल बताया. उन्होंने कहा कि यह निर्णय महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को मजबूती देगा और दिल्ली को व्यापारिक दृष्टि से अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा. यह प्रस्ताव अब उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया है. सीएम रेखा ने कहा कि यह निर्णय कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने वाला साबित होगा. यानी दिल्ली सरकार के इस कदम से महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ जाएंगे.
कौन-कौन से प्रतिष्ठान होंगे शामिल?
नई नीति के तहत, रिटेल स्टोर, शोरूम, ब्यूटी सैलून, कॉल सेंटर, आईटी कंपनियों और अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को रात की शिफ्ट में महिलाओं को नियुक्त करने की अनुमति दी जाएगी. यह अनुमति पहले लागू धारा 14, 15 और 16 की पाबंदियों को हटाकर दी जा रही है. जो सर्दियों और गर्मियों में अलग-अलग समय के लिए महिलाओं के काम पर रोक लगाती थी. इससे महिलाओं के लिए जॉब के सीमित अवसर थे.
ओवरटाइम का भुगतान भी शामिल
नियम यह भी बनाया गया है कि महिलाओं को वेतन का भुगतान बैंक/ईसीएस से होना चाहिए. शर्तों में ईएसआई, बोनस, भविष्य निधि आदि सभी कानूनी लाभ प्रदान करना, साप्ताहिक अवकाश व ओवरटाइम का भुगतान भी शामिल है.
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