Jagannath Rath Yatra: जगन्नाथ यात्रा आज होगी समाप्त, अब अपने घर लौटेंगे भगवान जगन्‍नाथ

Jagannath Rath Yatra: भगवान जगन्नाथ अपने मौसी देवी गुंडिचा के मंदिर में आराम करने के बाद अब अपने धाम वापस लौट रहे है. इस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमाड़ा लगा हुआ है. बता दें कि भगवान जगन्‍नाथ ने गुंडिचा मंदिर में 9 दिनों तक दिव्य विश्राम किया, इसके बाद अब वो अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ मूल निवास श्रीमंदिर लौटने वाले हैं. भगवान जगन्‍नाथ के वापसी को ही बाहुड़ा यात्रा कहा जाता है.

क्या है बाहुड़ा यात्रा?

दरअसल, ‘बाहुड़ा’ शब्द ओड़िया भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘वापसी’. भगवान जगन्‍नाथ के वापसी के दौरान श्रद्धालुओं के सुरक्षा के मद्देनजर पुरी शहर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. इसके अलावा, बाहुड़ा यात्रा, बाहर जाने वाली रथ यात्रा की तरह ही होती है, बस दिशा उल्टी होती है.

इन तीनों रथों पर भगवान बलभद्र का तालध्वज, देवी सुभद्रा का दर्पदलन, और भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष पहले ही ‘दक्षिण मोड़’ (दक्षिण की ओर मुड़ना) ले चुके हैं और अब गुंडिचा मंदिर के नकाचना द्वार के पास खड़े हैं. परंपरा के मुताबिक, भगवान रथ खींचे जाने के दौरान बीच में मौसी मां के मंदिर (अर्धासनी मंदिर) में थोड़ी देर रुकेंगे. जहां उन्हें पोड़ा पीठा नाम की खास मिठाई चढ़ाई जाएगी, जो चावल, गुड़, नारियल और दाल से बनी होती है.

4 बजे तड़के हुई आरती

बता दें बाहुला यात्रा की शुरुआत तड़के 4:00 बजे मंगला आरती से हुई. इसके बाद तड़प लगी, रोजा होम, अबकाश और सूर्य देव की पूजा की गई. फिर द्वारपाल पूजा, गोपाल बलभ और सकाला धूप जैसे अनुष्ठान हुए. इसके बाद सेनापतलगी अनुष्ठान के जरिए भगवानों को यात्रा के लिए तैयार किया गया.

दोपहर शुरू होगी भगवानों को रथ तक लाने की रस्म

बता दें कि ‘पहंडी’ यानी (भगवानों को रथ तक लाने की रस्म) दोपहर करीब 12 बजे शुरू होने की उम्मीद है और करीब 2:30 बजे तक इसके समाप्‍त होने की संभावना है. इसके बाद गजपति महाराज दिव्यसिंह देव छेरा पहंरा करेंगे. दरअसल, इस रस्म में वे सोने की झाड़ू से रथों की सफाई कर भगवानों के प्रति समर्पण और समानता का संदेश देते हैं. वहीं, जब तीनों रथों को लकड़ी के घोड़े से जोड़ दिए जाएंगे, तब शाम 4:00 बजे से भक्त रथ खींचना शुरू करेंगे. सबसे पहले भगवान बलभद्र का तालध्वज चलेगा, फिर देवी सुभद्रा का दर्पदलन और अंत में भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष चलेगा.

8 जुलाई को समाप्‍त होगी रथ यात्रा

इसके बाद 6 जुलाई यानी रविवार को को सुनाबेशा होगा, जब भगवान रथों पर स्वर्ण आभूषणों से सजेंगे. 8 जुलाई को नीलाद्री बिजे अनुष्ठान होगा, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपने श्रीमंदिर में वापस प्रवेश करेंगे और रथ यात्रा का समापन होगा. 

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