किसानों के लिए खुशखबरी: भारत को खाद्यान भंडार बनाने का सपना, कृषि मंत्री ने लॉन्च की दो नई चावल की किस्में

Agriculture, Rice : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजधानी दिल्ली में दो नई जीनोम-एडिटेड चावल की किस्में लॉन्च कीं। इन किस्मों का नाम बताया गया है डीआरआर राइस 100 (कमला) और पूसा डीएसटी राइस-1। इन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने विकसित किया है।

दोनों किस्में खेती में क्रांति

कृषि मंत्री का कहना है कि ये दोनों किस्में फसलो की खेती में बढ़ोत्‍तरी ला सकती हैं। इससे उत्पादन बढ़ेगा, पानी बचेगा और लागत भी घटेगी। इन सब के साथ-साथ ही, ये किस्में मौसम के बदलाव के अनुसार भी अच्छी पैदावार देंगी। उनका कहना है कि इससे करीब 750 करोड़ घन मीटर पानी की बचत होगी। क्‍योंकि यह फसल पैदावारी आसानी से होती है। यह देश के लिए तथा खासकर किसानों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।

कृषि मंत्री ने ये भी कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए 6 बिंदुओं पर काम कर रही है। इसमें उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन लागत घटाना, फसल का सही दाम दिलाना, नुकसान की भरपाई करना, खेती में विविधता लाना और प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना शामिल है। उन्होंने कहा कि जो नई किस्में लॉन्च हुई हैं, वे किसानों के उत्पादन लागत घटाने और उत्पादन बढ़ाने में मदद करेंगी। इससे न सिर्फ किसानों को लाभ मिलेगा बल्कि आम जनता को भी सस्ते और पोषकतत्‍व के साथ अनाज मिलेंगे।

भारत को अन्न भंडार बनाने का सपना

कृषि मंत्री का कहना है कि आने वाले समय में हमें भारत को दुनिया का फूड बास्केट यानी खाद्यान्न भंडार बनाना है। उन्होंने बताया कि भारत हर साल 48,000 करोड़ रुपये का बासमती चावल विदेशों में बेचा जाता है, जो हमारे किसानों की मेहनत का नतीजा है। उन्होंने कहा कि अब जरूरत है कि हम सोयाबीन, अरहर, मसूर, उड़द, तिलहन और दूसरी दालों का उत्पादन भी तेजी से बढ़ाएं। जिससे रोजगार भी बढ़ सके।

जीनोम एडिटिंग

जानकारी के दौरान इन चावल की किस्मों को सीआरआईएसपीआर-सीएएस नाम की एक तकनीक से तैयार किया गया है। इसमें पौधे के जीन में बदलाव किए जाते हैं, लेकिन कोई बाहरी (विदेशी) जीन नहीं डाला जाता। औद्योगिक के अनुसार यह तकनीक सुरक्षित मानी जाती है और सबसे महत्‍वपूर्ण बात भारत में इसे खेती के लिए मंजूरी मिल चुकी है। इस तकनीक के जरिए विकसित इन किस्मों में दो मुख्य फायदे हैं। जिसमें पहला ये है कि फसल जल्दी तैयार होती है। जबकि दूसरा फायदा ये है कि कम पानी में भी अच्छी पैदावार मिलती है।

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