वाराणसी। काशी के घाट और गंगा की अविरल लहरों को निहारने के लिए दुनिया भर से आने वाले सैलानियों के लिए गंगा के समानांतर प्रस्तावित सड़क को धरातल पर उतारने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी गई है। रामनगर से पड़ाव के बीच करीब सात किलोमीटर लंबी सड़क बनाने के लिए वाराणसी प्रशासन ने तीन मंत्रालयों से अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा है। रूट और स्थान चिह्नित होने के बाद मंत्रालयों के नियमों के चलते परियोजना में देरी न हो इसलिए प्रशासन सारी बाधाओं को पहले ही दूर कर काम शुरू करने की योजना में है। एनओसी मिलने के बाद गंगा किनारे की सड़क सरपट बनाई जाएगी। गंगा के समानांतर सड़क बनाने के लिए प्रशासन ने रक्षा मंत्रालय, वन व पर्यावरण मंत्रालय और नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा (एनएमसीजी) से अनुमति मांगी है। उम्मीद जताई जा रही है कि रक्षा मंत्रालय और वन व पर्यावरण मंत्रालय से अगस्त तक एनओसी मिल जाएगी। इसके बाद एनएमसीजी से अनापत्ति के लिए प्रशासन पूरी तैयारी से जुटेगा। बदलते बनारस के प्रति बढ़ते देश दुनिया के पर्यटकों को देखते हुए प्रशासन घाटों पर उमड़ने वाली भीड़ को विकल्प मुहैया कराने की तैयारी में है। इसके लिए गंगा पार रेती को विकसित कर रामनगर से पड़ाव के बीच गांवों के बाहरी हिस्से से फोरलेन सड़क बनाने की योजना है। इसके लिए लोक निर्माण विभाग को जमीन चिन्हांकन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। गंगा पार रेती को सीधे ग्रांट टैंक (जीटी) रोड से जोड़ने की तैयारी है। चंदौली, मिर्जापुर, बिहार और मध्यप्रदेश सहित अन्य शहरों के सैलानी व श्रद्धालु बिना शहर में प्रवेश किए सीधे गंगा घाटों पर पहुंच जाएंगे।