Solar Eclipse: सूर्य ग्रहण के वक्‍त आसमान से क्‍यो गायब हो जाते है बादल? वैज्ञानिकों ने सुलझायी गुत्‍थी

Solar Eclipse: ग्रहण एक प्रा‍कृतिक घटना है जो समय समय पर घटता रहता है, चाहे वो सूर्य ग्रहण हो या च्रद्र ग्रहण. लेकिल आज हम बात करने वाले है सूर्य ग्रहण के बारे में… आपको बता दें कि इस साल यानी 2024 में दो सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse 2024) लगने वाले हैं. एक अप्रैल और दूसरा अक्टूबर में.

8 अप्रैल 2024 केा लगने वाला सूर्य ग्रहण अमेरिका में  भी दिखाई देगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक  साल 2017 के बाद पहली बार ऐसा होगा की अमेरिका में सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) दिखाई देगा. वहीं, नासा के मुताबिक, सबसे पहले यह मेक्सिको के प्रशांत तट पर सुबह 11:07 मिनट पर दिखाई देगा. बता दें कि यह खगोलीय घटना यानी सूर्य ग्रहण तब लगता है जब सूरज और धरती के बीच चंद्रमा आ जाता है और धरती पर इसकी छाया पड़ती है ऐसे में दिन के समय ही रात जैसा नजारा हो जाता है. 

Solar Eclipse: अचानक छटने लगते है बादल

इस दौरान अचानक तेजी से आसमान में बादल छटने लगते हैं, ऐसा तब होता जब सूर्य का केवल 15 प्रतिशत भाग चंद्रमा ढंक लेता है. ऐसे में आपके मन में भी सवाल उठता होगा कि आखिर ऐसा क्‍यो होता है. यह सवाल काफी समय से सभी के लिए रहस्‍य बना हुआ था, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस रहस्‍य से भी पर्दा उठा दिया है. तो चलिए जानते है इस खगोलिय घटना के बारे में…

(रॉयल नीदरलैंड मौसम विज्ञान संस्थान और डेल्फ्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी की टीम का नेतृत्व करने वाले विक्टर ट्रीज ने सूर्य ग्रहण के दौरान धरती पर उथले क्यूम्यलस बादलों के गायब होने जाने को लेकर शोध की है। क्लाइमेट इंजीनियरिंग कोशिशों के लिए यह बेहद अहम है) अब

Solar Eclipse: बादलों के व्‍यवहार को समझना मुश्किल

वैज्ञानिकों के इस शोध के मुताबिक, सूर्य के प्रकाश को रोकना जलवायु परिवर्तन को कम करने का एक समाधान निकल सकता है. यह अनजाने में ही सही, मगर बादलों के आवरण को कम करता है. दरअसल, बादलों से सूर्य का प्रकाश प्रतिबिंबित होता है. जिसकी वजह से धरती को ठंडा करने में भूमिका निभाते हैं. वहीं, ग्रहण के दौरान पृथ्‍वी की सतह से बादलों के व्यवहार को समझना बेहद मुश्किल होता है. हालांकि शोधकर्ताओं ने क्लाउड टॉप परावर्तन की उपग्रह गणना में चंद्रमा की छाया पर ध्यान दिया और इसको समझा है.

Solar Eclipse: सूरज की रोशनी होती है अवरुद्ध

उन्‍होंने बताया कि जब सूर्य का केवल 15 प्रतिशत हिस्सा ठका होता है, तो क्यूमलस बादल हट जाते हैं और ग्रहण खत्म होने पर फिर से आ जाते हैं. सिमुलेशन ने इसे समझने के लिए क्लाउड मॉडलिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग किया. जब सूरज की रोशनी अवरुद्ध होती है, तो सतह ठंडी पड़ जाती है. जिससे क्यूम्यलस बादल बनने के लिए गर्म हवा का प्रवाह कम हो जाता है.

जिसका असर पृथ्‍वी पर भी पड़ता है, जिससे मौसम का मिजाज पर परिवर्तित होता है, लेकिन महासागर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. वहीं, मौसम के पैटर्न में सहायक क्यूम्यलस बादल पर जलवायु जियोइंजीनियरिंग का प्रभाव पड़ सकता है. इसके आगे की जांच की आवश्‍यकता पड़ती है.

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