जिसके जीवन में प्रभु-भक्ति का कोई नियम नहीं, उसका जीवन व्यर्थ: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि, कौन श्रेष्ठ ?बानर को हम ‘ बन्दर ‘ कह कर चाहे कनिष्ठ प्राणी गिने, किन्तु चंचल मन जाने वाले इस बानर में जितने सद्गुण एवं संयम-नियम हैं, उतने हम-सबके पास नहीं है। बानर चाहे जितना भूखा हो, किन्तु रामफल या सीताफल नहीं खाता।

कारण यह है कि इस फल के साथ उसके आराध्यदेव का नाम जुड़ा हुआ है। अपने आराध्यदेव के प्रति इतना आदर और स्वयं की जीभ पर इतना संयम चंचल माने जाने वाले बानर में है, किन्तु हम लोग 84 लाख योनियों में सबसे श्रेष्ठ मानव होकर भी अधर्म और अन्याय का पैसा खा जाने में भी संकोच नहीं करते। फिर बानर और हममें श्रेष्ठ कौन है। हमें यदि बानर से श्रेष्ठ बनना है तो फिर संयम भी उससे अधिक होना चाहिए। जिसके जीवन में संयम नहीं और जिसके जीवन में प्रभु-भक्ति का कोई नियम नहीं, उसका जीवन व्यर्थ है। जो सुख को प्रभु की कृपा समझता है, वह साधारण भक्त है। किन्तु जो अति दुःख में भी प्रभु की कृपा का आश्वादन करता है, वही उत्तम भक्त है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना,।

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