Kanwar Yatra 2025: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार ने वर्ष 2024 में कांवड़ यात्रा मार्गों पर साफ-सफाई, श्रद्धालुओं की आस्था की सुरक्षा और कथित खाद्य मिलावट रोकने के लिए कई कड़े फैसले किए. वर्ष 2025 में भी कांवड़ यात्रा से पहले यह फैसले लिए गए. कांवड़ यात्रा पर इन फैसलों का सिलसिला साल 2024 से शुरू हुआ जो अभी तक जारी है.
जून 2025 में क्या आदेश हुआ?
वर्ष 2025 में कावंड़ यात्रा से पहले फिर निर्देश जारी किए गए हैं. कांवड़ यात्रा 11 जुलाई 2025 से शुरू होने से पहले 25 जून को सीएम योगी ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि कांवड़ मार्गों पर खुले में मांसाहारी भोजन की बिक्री पर सख्त रोक रहेगी. सभी विक्रेता अपने नाम, पते और मोबाइल नंबर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करेंगे. जुलूस के मार्गों पर प्रतिबंधित जानवरों का प्रवेश रोका जाएगा. खाद्य वस्तुओं की कीमतें तय की जाएंगी ताकि श्रद्धालुओं से मनमानी वसूली न हो.
यह कोई पहला मौका नहीं है जब कांवड़ यात्रा को लेकर यूपी सरकार ने सख्ती दिखाई हो. जुलाई 2022 में मांस और शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया था. जुलाई 2023 में खुले में मांस बेचने पर रोक लगी. जुलाई 2024 में नेम प्लेट का आदेश आया जिस पर जमकर सियासत हुई थी. 2025 में आए आदेश के बाद अभी तक खुलकर किसी ने कुछ नहीं कहा है कि लेकिन यात्रा की तारीख नजदीक आते-आते प्रतिक्रियाओं का सिलसिला फिर शुरू हो सकता है.
22 जुलाई 2024- सुप्रीम कोर्ट की रोक
सरकार के इस आदेश को चुनौती देते हुए कुछ याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. 22 जुलाई को देश की सर्वोच्च अदालत ने यूपी सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दुकानदार केवल अपने भोजनालयों में परोसे जा रहे भोजन की किस्म का ही प्रदर्शन कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश की सरकारों को नोटिस जारी किया और पूछा कि आखिर दुकानदारों की व्यक्तिगत जानकारियां सार्वजनिक करना क्यों जरूरी है. कोर्ट ने इसे निजता के अधिकार से जोड़ते हुए गंभीर चिंता जताई.
यूपी सरकार ने दिया SC को जवाब
सरकार ने कहा कि यह आदेश इसीलिए लागू किया गया था जिससे गलती से भी कांवड़िए किसी दुकान से कुछ ऐसा न खा लें जिससे उन की धार्मिक भावनाएं आहत हो, कांवड़ियों को परोसे जाने वाले खाने-पीने की चीजों के संबंध में छोटे-छोटे भ्रम भी उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकते हैं और भड़का सकते हैं. मुजफ्फरनगर का जिक्र करते हुए, सरकार ने कोर्ट को दिए जवाब में कहा, मुजफ्फरनगर जैसे सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में पहली भी इस तरह की घटनाएं सामने आई है जहां खाने को लेकर भ्रम पैदा हुआ जिससे गलतफहमियों के कारण तनाव और गड़बड़ी हुई, ऐसे हालात फिर से पैदा न हो इसीलिए नेमप्लेट आदेश दिया गया था.
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