विश्व गुरू बनाने के लिए भारत को साथ मिलकर चलना है जरूरी: मोहन भागवत

छत्तीसगढ़। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को देश को विश्व गुरु बनाने के लिए साथ मिलकर चलने का आह्वान किया। उन्होंने संगठन की शक्ति पर बल देते हुए कहा कि कलियुग में कमजोर का हमेशा शोषण होता है। छत्तीसगढ़ में मुंगेली जिले के मदकू द्वीप में तीन दिवसीय घोष शिविर (संगीतमय बैंड कैंप) के समापन पर आसपास के गांवों के लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सत्य की हमेशा जीत होती है। झूठ कभी नहीं जीतता। भारत का धर्म सत्य है और सत्य ही धर्म है। भारतीय समाज में बहुत से देवी-देवता हैं पर सदियों से चल रही प्रक्रिया के तहत सभी को साथ लेकर चलना जरूरी है। बिना मजहब बदलवाने का प्रयास किए दुनियाभर में हिंदू धर्म को पहुंचाने की जरूरत है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि कमजोरी पाप है। शक्ति का अर्थ संगठन से जीना है। उन्होंने कहा कि इस घोष शिविर में शामिल लोग अलग-अलग वाद्य यंत्र बजा रहे हैं, लेकिन उन्हें धुन ने जोड़ रखा है। देश में सैकड़ों भाषाएं हैं, विभिन्न राज्य हैं, लेकिन सभी की मूल धुन एक है। जो कोई धुन को गड़बड़ करने की कोशिश करेगा, उसे देश की लय ठीक कर देगी। भारत के लोगों को विश्व में विशेष दृष्टि से देखा जाता है। इसका कारण है कि प्राचीन काल में ही हमारे संतों ने सत्य को साध लिया था। इतिहास में देखें तो जब भी किसी (देश) पर संकट आता था या भ्रम होता था तो वह रास्ता तलाशने के लिए भारत आता था। संघ प्रमुख ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने दुनियाभर का भ्रमण किया और गणित व आयुर्वेद जैसे ज्ञान बिना किसी की पहचान बदले दिए। वे पूरी दुनिया को परिवार मानते थे। यहां तक कि चीन भी यह कहने में नहीं झिझकता कि 2000 साल पहले भारतीय संस्कृति ने उस पर प्रभाव डाला था।

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