Health tips: प्रदूषण के प्रकोप ने पूरे देशभर मे कहर ढाया हुआ है. ऐसी परिस्थिति में फेफड़ों की खास देखभाल करना बेहद जरूरी है वरना आपके लंग्स डैमेज हो सकते हैं. क्या आपके मन में भी ये सवाल उठता है कि आखिर इस बात का पता कैसे लगाया जाए कि आपके फेफड़े कमजोर हो रहे हैं? अगर हां, तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब फेफड़े कमजोर होने लगते हैं, तब शरीर में कुछ लक्षण नजर आते हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.
सांस लेने में तकलीफ होना
नॉर्मल एक्टिविटीज, जैसे- सीढ़ियां चढ़ने, थोड़ा दौड़ने या सामान उठाने में सांस फूलने लगे, तो यह फेफड़ों के कमजोर होने का संकेत हो सकता है. उम्र बढ़ने के साथ फेफड़ों की कैपेसिटी कम हो जाती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है. अगर यह समस्या बिना किसी भारी फिजिकल लेबर के हो रही है, तो फेफड़ों की जांच करवाना जरूरी है.\
लगातार खांसी आना
यदि आपको लंबे समय से खांसी है, खासकर सुबह के समय या धूल-प्रदूषण के संपर्क में आने पर, तो यह फेफड़ों के कमजोर होने का संकेत हो सकता है. स्मोक करने वालों या प्रदूषण वाले क्षेत्र में रहने वालों को यह समस्या ज्यादा होती है. क्रोनिक ब्रोंकाइटिस या COPD (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) जैसी बीमारियों का यह शुरुआती लक्षण हो सकता है.
थकान और कमजोरी महसूस होना
फेफड़े अगर पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं, तो शरीर को भरपूर ऑक्सीजन नहीं मिल पाता. इससे व्यक्ति को हर समय थकान और सुस्ती महसूस होती है. ऑक्सीजन की कमी से शरीर की एनर्जी कम हो जाती है और सामान्य काम करने में भी दिक्कत होने लगती है.
छाती में जकड़न या घरघराहट
अगर सांस लेते समय छाती में भारीपन या जकड़न महसूस हो, या सीटी जैसी आवाज या घरघराहट हो, तो यह फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय है. यह अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या फेफड़ों में सूजन का संकेत हो सकता है. उम्र के साथ फेफड़ों की नलियां सिकुड़ने लगती हैं, जिससे यह समस्या बढ़ सकती है.
बार-बार इन्फेक्शन होना
अगर आपको निमोनिया, ब्रोंकाइटिस या अन्य सांस की बीमारियां बार-बार हो रही हैं, तो यह इशारा है कि आपके फेफड़े कमजोर हो रहे हैं. उम्र बढ़ने के साथ इम्युनिटी कमजोर होती है और फेफड़े इन्फेक्शन से ठीक से लड़ नहीं पाते.
जीवनशैली में बदलाव
- धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान फेफड़ों की बीमारी का एक प्रमुख कारण है, और इसे छोड़ने से क्षति को धीमा किया जा सकता है या कुछ हद तक उलटा भी किया जा सकता है.
- वायु गुणवत्ता प्रबंधन: प्रदूषकों के संपर्क में आने से बचना, वायु शोधक का उपयोग करना और प्रदूषित क्षेत्रों में मास्क पहनना फेफड़ों की सुरक्षा में मदद कर सकता है.
- व्यायाम और श्वास तकनीक: योग, प्राणायाम और एरोबिक व्यायाम जैसी गतिविधियाँ फेफड़ों को मजबूत बनाने और ऑक्सीजन के सेवन में सुधार करने में मदद करती हैं.
- स्वस्थ आहार: एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर संतुलित आहार फेफड़ों के स्वास्थ्य को बनाए रखता है और सूजन को कम करता है.
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