Engineer’s Day 2025: कैसे हुई इंजीनियर दिवस की शुरुआत, जानिए क्‍या है भारत रत्न सर एम. विश्वेश्वरैया कहानी

Engineers Day 2025: भारत हर साल 15 सितंबर को राष्ट्रीय इंजीनियर्स डे मनाता है. यह दिन भारत रत्न से सम्मानित महान अभियंता सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया (Sir M. Visvesvaraya) की जयंती पर समर्पित है. उन्होंने सिंचाई, बांध, बुनियादी ढांचे और आर्थिक योजनाओं में अद्भुत योगदान दिया. यही वजह है कि यह दिन भारत के साथ-साथ श्रीलंका और तंजानिया में भी मनाया जाता है.

Engineers Day का इतिहास क्या है?

सर एम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर जिले में हुआ था और वह बाढ़ प्रबंधन और सिंचाई तकनीक के विशेषज्ञ माने जाते थे. अनुशासन, ईमानदारी और देश के प्रति गहरी निष्ठा उनकी पहचान रही है. उन्होंने पुणे के कॉलेज ऑफ साइंस से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और इंजीनियरिंग को नई दिशा दी और आधुनिक भारत की आधारशिला रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ऐसे में भारत सरकार ने उन्हें 1955 में भारत रत्न और ब्रिटिश सरकार ने Knighthood Award से सम्मानित किया. जिसके बाद से ही उनकी जयंती को 1967 से राष्ट्रीय इंजीनियर्स डे के रूप में मनाना शुरू किया गया.

उल्लेखनीय योगदान

सर विश्वेश्वरैया को आधुनिक भारत के निर्माण में उनके कार्यों के लिए याद किया जाता है.

  • कृष्णराज सागर बांध का निर्माण
  • हैदराबाद में बाढ़ नियंत्रण योजना
  • स्वचालित स्लुइस गेट्स का आविष्कार


इसके अलावा, वो साल 1912 से 1918 तक मैसूर राज्य के दीवान (मुख्यमंत्री) भी रहे.  अपने कार्यकाल में उन्होंने शिक्षा व्यवस्था, रेलवे विस्तार और औद्योगिक विकास को बढ़ावा दिया.

सम्मान और उपाधियां
  • 1955 में भारत रत्न से सम्मानित
  • ब्रिटिश सरकार की ओर से KCIE (Knight Commander of the Order of the Indian Empire) की उपाधि
  • उन्हें भारतीय इंजीनियरिंग का “पितामह” भी कहा जाता है, जो एक लोकप्रिय और सम्मानजनक उपाधि है.

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