राजस्थान में सीएम के सलाहकारों की नियुक्ति की घोषणा के बाद जोरों पर है राजनीति

राजस्थान। राजस्थान में मुख्यमंत्री के सलाहकारों की नियुक्ति की घोषणा के बाद राजनीति जोरों पर है। लेकिन इस विवाद पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि उनके सलाहकार के रूप में नियुक्त विधायकों या जिन्हें संसदीय सचिव बनाया जाएगा, उन्हें कोई कैबिनेट मंत्री या राज्यमंत्री का दर्जा नहीं मिलेगा। पिछले हफ्ते राजस्थान कैबिनेट में फेरबदल के कुछ घंटे बाद, अशोक गहलोत ने छह सलाहकार नियुक्त किए थे, जिसमें तीन कांग्रेस विधायक शामिल थे। भाजपा ने नियुक्तियों पर आपत्ति जताई थी और राज्यपाल कलराज मिश्रा को एक ज्ञापन सौंपा था, जिन्होंने उनकी संवैधानिक स्थिति पर स्पष्टता मांगी थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि संसदीय सचिवों और सलाहकारों की नियुक्तियां पहले होती रही हैं, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन्हें सुविधाएं और दर्जा नहीं दिया जा सकता है, लेकिन अगर उन्हें ये नहीं दिया जाता है, तो इसमें गलत क्या है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से तेल कंपनियों को ईंधन की कीमतों में वृद्धि की बजाय उनकी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुदान देने की भी मांग की, उन्होंने कहा कि तेल की कीमतें जनता पर भारी पड़ती हैं। साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि महंगाई ने पूरे देश में लोगों को झकझोर दिया है और इस पर लगाम लगाने की जरूरत है। आगे मीडिया से बात करते हुए सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि वे संघीय ढांचे को नहीं समझ पा रहे हैं। केंद्र सरकार राज्यों को आर्थिक रूप से कमजोर कर रही है। जब राज्य मजबूत होंगे, तो देश मजबूत होगा। राज्यों का वित्तीय प्रबंधन गड़बड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सब केंद्र की गलत नीतियों के कारण हो रहा है।

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