Moon Mission: भारत के बाद जापान ने किया मून मिशन लॉन्च, ‘मून स्नाइपर’ करेगा ब्रह्मांड की उत्पत्ति का अध्ययन

Moon Mission: भारत के चंद्रयान-3 की चांद पर सफलता के बाद अब अन्य देश भी अब चांद पर पहुंचने के लिए उत्‍साहित है। इसी सिलसिले में जापान ने अपना कदम आगे बढ़ाया है। दरअसल, आज सुबह जापान की अतंरिक्ष एजेंसी जापान एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने अपना मून मिशन ‘मून स्नाइपर’ लॉन्च किया। तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से H-IIA रॉकेट के माध्‍यम से यह लॉन्चिंग की गई।  JAXA द्वारा लॉन्च किया जाने वाले मून मिशन में रॉकेट एक लैंडर को ले जाएगा, जिसके चार से छह महीने में चंद्रमा की सतह पर पहुंचने की उम्मीद है।

तीन बार टालना पड़ा था लॉन्चिंग डेट

बता दें, जापान की अंतरिक्ष एजेंसी को खराब मौसम के कारण पिछले महीने एक हफ्ते में तीन बार अपना यह मिशन टालना पड़ा था।लेकिन आखिरकार जापान ऐसा करने में सफल रहा।
JAXA ने बताया कि लॉन्च के करीब 13 मिनट बाद रॉकेट ने एक्स-रे इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी मिशन (एक्सआरआईएसएम) नामक एक उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया, जो आकाशगंगाओं के बीच स्थित चीजों की गति और संरचना को मापेगा। इससे मिली जानकारी यह अध्ययन करने में मदद करेगी कि आकाशीय पिंडों का निर्माण कैसे हुआ। साथ ही उम्मीद है कि ब्रह्मांड का निर्माण कैसे हुआ इस रहस्य को सुलझाने में भी मदद मिल सकती है।

यह है मिशन का लक्ष्य

बताया जा रहा है कि जापान ने अपने इस मून मिशन को खास तौर पर ब्रह्मांड के निर्माण की जांच के लिए डिजाइन किया है। इसमें एक एक्स-रे इमेजिंग उपग्रह भी होगा। इसके अलावा एक स्मार्ट लैंडर भी भेजा गया है। यह चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने की कोशिश करेगा। जापान के मून मिशन में कई चीजें शामिल हैं। इस मिशन के तहत चंद्रमा पर जांच करने के लिए स्मार्ट लैंडर को उतारना है। जापानी रॉकेट में स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (SLIM) एक हल्का चंद्र लैंडर भी मौजूद है। अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, स्मार्ट लैंडर लॉन्च के बाद तीन या चार महीने तक चंद्रमा की कक्षा में नहीं जाएगा और संभवतः अगले साल की शुरुआत में लैंडिंग का प्रयास करेगा।

 

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