देसंविवि के प्रांगण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया पौधरोपण

उत्‍तराखंड। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अखिल विश्व गायत्री परिवार के मुख्यालय शांतिकुंज के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में देव संस्कृति विश्वविद्यालय और शांतिकुंज पहुंचे। इस दौरान उन्होंने रुद्राक्ष का पौधा रोपा और प्रज्ञेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना की। राष्ट्रपति ने भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रचार के लिए शांतिकुंज की ओर से किए जो कार्यों की प्रशंसा की। इस मौके पर उनके साथ राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धनसिंह रावत भी मौजूद थे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रविवार को पतंजलि विवि के दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए हरिद्वार पहुंचे थे। इसके बाद वह स्वर्गाश्रम स्थित परमार्थ निकेतन में गंगा आरती में शामिल हुए थे। सोमवार सुबह राष्ट्रपति देव संस्कृति विश्वविद्यालय पहुंचे। यहां पर प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या, कुलपति शरद पारधी, कुलसचिव बलदाउ देवांगन ने उनका स्वागत किया। इस मौके पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पंड्या ने राष्ट्रपति को शांतिकुंज स्वर्ण जयंती वर्ष के गायत्री प्रतिमा स्मृति चिह्न, गंगाजल, देसंविवि स्वावलंबन विभाग निर्मित जूट बैग और पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की ओर से प्रतिपादित सार्वभौम प्रज्ञा योग मार्गदर्शिका भेंट की। इसके बाद राष्ट्रपति ने देसंविवि के प्रांगण में स्मृति स्वरूप रुद्राक्ष के पौधे का रोपण किया। राष्ट्रपति ने प्रज्ञेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना कर भगवान शिव का आशीर्वाद लिया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत और बाल्टिक देशों के संबंधों की मधुरता व मजबूती बढ़ाने के उद्देश्य से स्थापित एशिया का प्रथम बाल्टिक सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र का अवलोकन करते हुए इसके माध्यम से किए जा रहे प्रयासों और अनुसंधानों की प्रशंसा की। देव संस्कृति विश्वविद्यालय भ्रमण के दौरान यहां के मूल्यपरक शिक्षण प्रणाली, वैज्ञानिक अध्यात्मवाद, योग व आयुर्वेद, अनुसंधान, स्वावलंबन और विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों का राष्ट्रपति ने अवलोकन करते हुए विवि की ओर से किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। राष्ट्रपति इसके बाद गायत्री तीर्थ शांतिकुंज पहुंचे। शांतिकुंज में उन्होंने युग ऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और माता भगवती देवी शर्मा के पवित्र पावन कक्ष का दर्शन किया। 1926 से प्रज्ज्वलित अखंड दीपक के दर्शन किए।

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