भगवान का स्मरण करने से मिलती है शांति: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि ।।श्रीमद्भागवत माहात्म्य कथा।। शुकताल में देवताओं द्वारा अमृत कलश लेकर उपस्थित होना। भक्ति नारद संवाद, पंडित आत्मदेव जी की मंगलमय कथा, श्रीमद् भागवत श्रवण की विधि का वर्णन एवं मंगलाचरण की कथा का गान किया गया। मन और चित् की शुद्धि जिस तरह भगवान की कथा से होती है, दूसरे साधनों से नहीं हो सकती। एक डॉक्टर साहब कह रहे थे, पहले मुझे बहुत झुंझलाहट होती  थी। आपके द्वारा कथा में बैकुंठाधिपति भगवान की क्षमा, तुकाराम जी की क्षमा, एकनाथ जी की क्षमा, विदुर जी की क्षमा, आपने सुनाया हमें झुंझलाहट होती थी बहुत कम हो गयी। श्री शुकदेव जी ने देवताओं को कथा का अधिकारी क्यों नहीं माना? तो गुरुजन बताते हैं कि देवताओं की अमृत के प्रति महत्दी थी और परीक्षित जी की कथा के प्रति महत् बुद्धि थी। वे मन में उहापोह में बैठे थे, ये व्यवधान पता नहीं किस संस्कार से आया। श्री शुकदेव जी ने अभक्त समझकर देवताओं को कथा का दान नहीं किया। भक्ति महारानी नारद जी से कहती हैं, आपके दर्शन से मुझे बड़ी शांति मिली। भक्त के दर्शन से भक्ति को, गुरु को और भगवान को भी शांति मिलती है, भक्त ऐसा महान होता है। विभीषण से भगवान श्री राम मिले, तो भगवान कहते हैं- तुम सारिखे संत प्रिय मोरे, धरहुँ देह नहिं आन निहोरे।। संत के दर्शन से भक्ति, गुरु, भगवान को भी शांति मिलती है। सांसारिक दुःख तो सामान्य बात है, प्रारब्ध बस मिलता है। लेकिन सबसे बड़ा दुःख है कि हम भगवान के अंश होकर संसार में भटक रहे हैं संपूर्ण दुःखों की निवृत्ति आधे श्लोक में बताया है, श्री कृष्ण चरणाम्बोजं स्मरदुखं गमिष्यति।। भगवान् के चरणों का स्मरण करने से दुःख में भी सुख होने लगता है। न स्मरण से सुख-दुःख बन जाता है। पितामह भीष्म चौवन दिनों से बाणों की शैय्या पर लेटे हैं, देखने में लगता आकाश से कोई देवता गिरा हो। श्रीमद्भागवत महापुराण समस्त पुराणों का सम्राट है। जैसे राजा का सब गुण गाते हैं ऐसे सभी पुराण श्रीमद् भागवत महापुराण का गुण गाते हैं। व्यास जी की अंतिम कृति है। सामान्य कवि की भी अंतिम कृति सर्वश्रेष्ठ होती है, क्योंकि तब तक बहुत अनुभव हो जाता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य घनश्याम धाम,श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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