कुतुबमीनार से भी ऊंचा है बीएचयू का विश्वनाथ मंदिर

वाराणसी। शिव स्वरूप में विराजित काशी के शिव मंदिरों की कहानियां भी अलग-अलग हैं। महामना की बगिया में स्थित श्वेत संगमरमर से बना काशी विश्वनाथ मंदिर तो दिल्ली के कुतुबमीनार से भी ऊंचा है। यहां पर महादेव नर्मदेश्वर बाणलिंग के रूप में विराजते हैं। बीएचयू के जनसंपर्क अधिकारी राजेश सिंह का कहना है कि भारत की समस्त वास्तुशैलियों द्रविण, नागर और बेसर को समेटे हुए है बीएचयू स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर। यह मंदिर दिल्ली के ऐतिहासिक कुतुबमीनार से भी 13 फीट ऊंचा है। कुतुबमीनार की ऊंचाई 239 फीट है। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी का कहना है कि महामना ने 1927 में गोस्वामी गणेशदास के हाथों विश्वविद्यालय परिसर में विश्वनाथ मंदिर के शिलान्यास के लिए स्वामी कृष्णम को न्योता भेजा। तपस्वी कृष्णम को मनाने में गणेशदास को चार साल लग गए। 11 मार्च 1931 को स्वामी कृष्णम के हाथों मंदिर का शिलान्यास हुआ। मंदिर के निर्माण के लिए उद्योगपति जुगल किशोर बिड़ला ने महामना से वादा किया था और उसको पूरा किया। 1954 तक शिखर को छोड़कर मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो गया। 17 फरवरी 1958 को महाशिवरात्रि के दिन मंदिर के गर्भगृह में नर्मदेश्वर बाणलिंग की प्राण प्रतिष्ठा के साथ भगवान विश्वनाथ की स्थापना मंदिर में हो गई। भारत कला भवन में मंदिर का ब्लू प्रिंट सुरक्षित है।

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