अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल देती है अजा एकादशी…

वाराणसी। अजा एकादशी व्रत का पर्व तीन सितंबर शुक्रवार को मनाया जाएगा। श्रद्धालु इस दिन व्रत रख विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर भगवान विष्णु को प्रसन्न करेंगे। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी कहते हैं। इस दिन जो व्यक्ति अजा एकादशी का व्रत रख विधि वधान से पूजन अर्चन करता है, उसे अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, अजा एकादशी व्रत पूरी श्रद्धा के साथ करने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। इस व्रत को नियम पूर्वक करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से समस्त पापों का नाश होता हैं और आत्मा मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम को प्रस्थान करती है। पंडित अवधेश मिश्रा के अनुसार अजा एकादशी से एक दिन पूर्व यानि दशमी के दिन शाम को सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करें। रात्रि में भगवान का ध्यान कर सोएं। एकादशी के दिन प्रात:काल स्नान के बाद भगवान विष्णु का पूजन करें। पूजन में तुलसी, चंदन, गंगाजल और फल का प्रसाद अर्पित करें। व्रत रखने वाले व्यक्ति इस दिन छल-कपट, बुराई और झूठ बोलने से दूर रहें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। एकादशी पर जो व्यक्ति विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करता है उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। इस दिन चावल का सेवन न करें।

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