Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि प्रभु का उपकार- भक्त एकनाथ की पत्नी उनके लिये बहुत अनुकूल थी, इसलिए भक्त प्रसन्न होकर प्रभु से कहता, ” मेरे नाथ ! तूने खूब दया करके मुझे घर में ही सत्संग प्रदान किया, ताकि मेरा हृदय हमेशा प्रभु के मार्ग में लगा रहे।
“भक्त तुकाराम की पत्नी कर्कशा एवं प्रतिकूल थी तो भी भक्त तो खुश होकर कहता, ” हे प्रभु ! घर में मेरी आसक्ति पैदा न हो – इस दृष्टि से कर्कशा पत्नी प्रदान करके तूने मुझ पर कितनी बड़ी कृपा की है ? उसके कारण अब मेरा मन घर में जाने का नाम ही नहीं लेता। मुझे तो अब हमेशा प्रभु आपके सानिध्य में रहना ही अच्छा लगता है।”
भक्त नरसी मेहता की पत्नी संसार से विदा हो गई और उनका इकलौता पुत्र शामलशाह बिना वंशवेल को आगे बढाये संसार से बिदा हो गया। फिर भी भक्त के हृदय से तो पूर्ण शब्द ही छलकते थे, ” भलू थयुँ भाँगी जंजाल, सुखे भजीशु श्री गोपाल।”इस प्रकार प्रभु के भक्त प्रत्येक परिस्थिति में प्रभु का उपकार ही देखते हैं।उनके मन में तो पत्नी के अनुकूल होने, प्रतिकूल होने या संसार के उजड़ जाने पर भी प्रभु का उपकार ही उपकार होता है।प्रभु को प्रसन्न करने के लिये ही प्रवृत्ति में लगो।सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।