Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि पेन्शन और जीवन- कुछ मनुष्य घर की स्थिति अच्छी होने तथा अच्छे प्रमाण में पैन्शन मिलने पर भी दूसरी नौकरी ढूँढते हैं, यह अच्छी बात नहीं है. पैन्शन होने पर तो प्रभु की नौकरी ही करनी चाहिए.
पैन्शन होने पर तो प्रभु को प्रसन्न करने वाली प्रवृत्तियाँ ही करनी चाहिए. वृद्धावस्था में पैन्शन की व्यवस्था हो जाय तो रोज इक्कीस हजार छः सौ बार प्रभु का नाम जप करके जीवन को शान्ति प्राप्त कराने के लिये की गयी है. इसके बदले दूसरी नौकरी ढूढें, यह अच्छी बात नहीं है.
55 वर्ष के बाद घर में रहने के बजाय तीर्थ में निवास करो और यदि घर में ही रहना पड़े तो बहुत सावधानी पूर्वक सात्विक जीवन व्यतीत करो. 55 वर्ष बाद निवृत्ति ही खोजो. किसी भौतिक प्रवृत्ति के बजाय, परोपकार की प्रवृत्ति और नाम जप में ही रहो. नहीं तो वह प्रवृत्ति भी अभिमानी बना देगी और परमात्मा को भुला देगी.
सन मुख आये हुए जीव को प्रभु-प्रेम से गले लगाते हैं. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).