Delhi: नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इंडिगो संकट के चलते कुछ एयरलाइंल की ओर से असामान्य रूप से द्यादा हवाई किराया वसूले जाने से जुड़ी चिंताओं को गंभीरता से लिया है. केंद्र सरकार ने शनिवार को सभी एयरलाइंस को निर्देश जारी किए हैं कि यात्रियों से तय सीमा से ज्यादा किराया न वसूला जाए. सरकार की ओर से कहा गया है कि ऐसा करने पर कार्रवाई की जाएगी.
परेशान लोगों की मजबूरी का फायदा उठाने में जुटीं विमानन कंपनियां
बीते पांच दिनों में इंडिगो की 2500 से ज्यादा उड़ानें रद्द हो चुकी हैं. इसके चलते उपलब्ध सीटों की संख्या घट गई. विमानन कंपनियों ने इस आपदा में अवसर देखा और हवाई किराए में भारी बढ़ोतरी कर दी. ऐसी स्थिति में हवाई यात्री खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि बीते चार दिनों से सरकार ने भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और आज शनिवार को सरकार की नींद टूटी. अब सरकार ने एयरलाइंस को निर्देश जारी कर ज्यादा किराया वसूलने पर कार्रवाई की बात कही है.
एयरलाइनों को सरकार का आधिकारिक निर्देश जारी
केंद्र सरकार ने बताया है कि सभी एयरलाइनों को एक आधिकारिक निर्देश जारी किया गया है जिसमें अब निर्धारित किराया सीमा का कड़ाई से पालन अनिवार्य किया गया है. मंत्रालय के बयान के मुताबिक ये सीमाएं तब तक लागू रहेंगी जब तक स्थिति पूरी तरह से स्थिर नहीं हो जाती. मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस निर्देश का उद्देश्य बाजार में मूल्य निर्धारण अनुशासन बनाए रखना, संकटग्रस्त यात्रियों के किसी भी शोषण को रोकना और यह सुनिश्चित करना है कि जिन नागरिकों को तत्काल यात्रा करने की आवश्यकता है- जिनमें वरिष्ठ नागरिक, छात्र और मरीज शामिल हैं – इस अवधि के दौरान वित्तीय कठिनाई का सामना न करें.
सोने का भाव बने हवाई किराये
यह स्थिति सिर्फ दिल्ली-बेंगलुरु तक ही सीमित नहीं थी. घरेलू उड़ानों में भी यही हाल था. दिल्ली से गोवा के लिए एयर इंडिया का सबसे तेज विकल्प 56,000 रुपये से ऊपर था. दिल्ली-पुणे का किराया 30,000 से 40,000 रुपये के बीच था और दिल्ली-लखनऊ के टिकट एयर इंडिया एक्सप्रेस पर 20,000 रुपये पार कर गए थे. वहीं, इंडिगो में सीटें 9,000 से 17,000 रुपये में बिक रही थीं.
इसे भी पढ़ें:-बाबासाहेब के परिनिर्वाण दिवस पर सीएम योगी ने दी श्रद्धांजलि, कहा- समानता और न्याय पर आधारित समाज हमारा लक्ष्य