Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में सुरक्षाबल के जवानों को बड़ी सफलता मिली है. खूंखार नक्सली हिड़मा के एनकाउंटर में बाद एक्टिव नक्सलियों को मौत का खतरा सता रहा है. सोमवार को सुकमा जिले में 15 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया. सरेंडर करने वालों में 4 हार्डकोर माओवादी हैं. 5 महिला और 10 पुरुष नक्सलियों ने सुरक्षाबल के जवानों के सामने सरेंडर करने का फैसला किया और मुख्यधारा में लौट आए हैं.
सबसे खतरनाक बटालियन के सदस्य भी शामिल
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों में पीएलजीए बटालियन क्रमांक एक के चार अत्यंत सक्रिय और खतरनाक नक्सली भी हैं. इनमें माड़वी सन्ना (28), सोड़ी हिड़मे (25), सूर्यम उर्फ रव्वा सोमा (30) और मीना उर्फ माड़वी भीमे (28) पर आठ–आठ लाख रुपये का इनाम था. ये चारों कई बड़ी नक्सली घटनाओं में शामिल रहे हैं और लंबे समय से सुरक्षा बलों के रडार पर थे.
इसके अलावा, सुनिता उर्फ कुहराम हुंगी (35) और मड़कम पांडू (30) पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था. वहीं, तीन अन्य माओवादी ऐसे थे जिन पर एक से तीन लाख रुपये तक का इनाम था. इनके खिलाफ हत्या, आगजनी, विस्फोट और सुरक्षाबलों पर हमले जैसी गंभीर धाराओं में मामले दर्ज थे.
माओवादी विचारधारा से मोहभंग के बाद लिया फैसला
अधिकारियों के मुताबिक सभी 15 माओवादियों ने यह कदम ‘छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति’ से प्रभावित होकर उठाया. उन्होंने स्वीकार किया कि माओवादी संगठनों की अमानवीय गतिविधियां, शोषण, अत्याचार और झूठी विचारधारा के कारण वे मानसिक रूप से टूट चुके थे. लगातार हिंसा और जीवन की अनिश्चितता से परेशान होकर उन्होंने हथियार छोड़ने और सामान्य जीवन अपनाने का निर्णय लिया.
सरकार की नई नीति के तहत मिलेगा पुनर्वास लाभ
सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादियों को तत्काल 50-50 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराई है. इसके अलावा उन्हें पुनर्वास नीति के तहत नौकरी, प्रशिक्षण और सुरक्षित आवास जैसे लाभ भी दिए जाएंगे. पुलिस का कहना है कि यह कदम अन्य सक्रिय माओवादियों के लिए भी एक उदाहरण बनेगा.
विकास की राह होगी मजबूत
सुकमा जिला पुलिस ने दावा किया है कि लगातार हो रहे एनकाउंटर और सरेंडर से अब सुकमा के जंगलों में नक्सली संगठन कमजोर हो गया है. माओवादी संगठन में बिखराव भी हो रहा है. नक्सलियों के सरेंडर से सुकमा के विकास की राह मजबूत होगी.
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