Winter Session of Parliament 2025: केंद्र सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र की तारीखों की आधिकारिक घोषणा कर दी है. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने जानकारी दी कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. अब शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर 2025 से शुरू होकर 19 दिसंबर 2025 तक चलेगा. हालांकि, सत्र की अवधि को संसदीय कार्यों की आवश्यकता के अनुसार आगे-पीछे किया जा सकता है.
सरकार के प्रस्ताव को मिली मंज़ूरी
केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने अपने लेटेस्ट एक्स पोस्ट में कहा कि जरूरत पड़ने पर शीतकालीन सत्र की अवधि में बदलाव संभव है. यानी 19 दिसंबर के बाद भी संसद की कार्यवाही देखने को मिल सकती है. राष्ट्रपति ने भारत सरकार की सिफारिश पर, शीतकालीन सत्र, 2025 के लिए संसद के दोनों सदनों को 1 दिसंबर से 10 दिसंबर, 2025 तक बुलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. हालांकि शीतकालीन सत्र की अवधि जरूरत के हिसाब से बढ़ाई भी जा सकती है. पिछले साल शीतकालीन सत्र की अवधि 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक तय की गई थी.
मानसून सत्र में बर्बाद हुए थे 166 घंटे
इससे पहले संसद का मानसून सत्र 21 अगस्त को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था. मानसून सत्र में एसआईआर पर विपक्ष के हंगामे के कारण संसद के 166 घंटे बर्बाद हो गए थे. इससे जनता के टैक्स के करीब 248 करोड़ रुपये डूब गए. विशेष चर्चा के बाद ऑपरेशन सिंदूर मामले में टकराव टला, मगर एसआईआर को लेकर सियासी संग्राम अंतिम दिन तक जारी रहा. हंगामे के कारण लोकसभा के 84.5 घंटे, जबकि उच्च सदन राज्यसभा के 81.12 घंटे बर्बाद हो गए. राज्यसभा की कार्यवाही 38.88 घंटे ही चल सकी.
संसद की कार्यवाही में लगने वाले खर्च
किसी भी सदन की एक मिनट की कार्यवाही पर 2.5 लाख रुपये खर्च होते हैं. यानी एक घंटे का खर्च लगभग 1.5 करोड़ रुपये बैठता है. इससे लोकसभा में कार्यवाही न चलने से 126 करोड़ रुपये और राज्यसभा में करीब 122 करोड़ बर्बाद हुए. हालांकि, अंतिम नौ कार्य दिवसों में ताबड़तोड़ विधायी कामकाज निपटाए गए. राज्यसभा में 15 तो लोकसभा में 12 विधेयक पारित किए गए.
संसद के कितने सत्र होते हैं?
सामान्यत: एक वर्ष में लोक सभा के तीन सत्र आयोजित किए जाते हैं. संसद का बजट सत्र किसी वर्ष में फरवरी के महीने से मई महीने के दौरान चलता है. इस अवधि के दौरान बजट पर विचार करने तथा मतदान और अनुमोदन के लिए बजट को संसद में प्रस्तुत किया जाता है. विभागों से संबंधित समितियां मंत्रालयों और विभागों की अनुदानों की मांगों पर विचार करती हैं और इसके बाद संसद को अपने प्रतिवेदन सौंपती हैं. वहीं दूसरा मानसून सत्र होता है जिसकी अवधि जुलाई से अगस्त के बीच होती है. साल का अंत शीतकालीन सत्र से होता है जो नवंबर से दिसंबर के बीच बुलाया जाता है.
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