Lucknow: शुभांशु शुक्ला अपनी पत्नी और बेटे के साथ आज सुबह लखनऊ पहुंचे, जहां यूपी के उपमुख्यमंत्री और लखनऊ वासियों ने तिरंग और फूल-मालाओं के साथ एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत किया. इस दौरान बैंड की धुनें गूंज रही थीं, जिसने माहौल को और उत्साहपूर्ण बना दिया. इस दौरान एयरपोर्ट पर ही बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों और स्थानीय लोगों ने गर्मजोशी से उनका अभिनंदन किया है। इस दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, मेयर सुषमा खर्कवाल समेत छोटे-छोटे स्कूली बच्चे भी अंतरिक्ष यात्री की पोशाक पहनकर उनका स्वागत करने एयरपोर्ट पहुंचे हैं। उनके लखनऊ आगमन को लेकर उनकी मां बेहद खुश हैं. शुभांशु यहां अपने माता-पिता, भाई-बहन और तमाम रिश्तेदारों से मिले हैं लेकिन वो अभी अपने घर नहीं जा पाएंगे.
तीन दिन तक लखनऊ में रहेंगे शुभांशु शुक्ला
अंतरिक्ष से लौटने के बाद शुभांशु शुक्ला एक हफ्ते से दिल्ली में थे, जिसके बाद आज वो अपने शहर लखनऊ पहुंचे हैं. आज से तीन दिन तक शुभांशु यहीं पर रहेंगे. यहां वो अपने परिवार के लोगों से मिल तो पाएंगे लेकिन अपनी पुरानी यादें ताजा करने अपने घर नहीं जा पाएंगे. इसके पीछे सुरक्षा कारणों तो वजह बताया जा रहा है.
कैप्टन शुभांशु शुक्ला के गोमतीनगर स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में भी सम्मान समारोह आयोजित किया गया है, जिसके बाद वो यहां वो पत्रकारों से भी बात करेंगे और अंतरिक्ष में अपने अनुभवों को साझा करेंगे. पत्रकारों से बातचीत के बाद शुभांशु शुक्ला सीधा नैमिषारण्य गेस्ट हाउस जाएंगे. अगले तीन दिन तक उनका यहीं पर रुकने का इंतज़ाम किया गया है.
CM योगी से कर सकते हैं मुलाकात
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सम्मान समारोह के बाद शुभांशु दोपहर 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे, जहां वह मीडिया से मुखातिब होंगे. इसके बाद शुभांशु लोक भवन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर सकते हैं.
दरअसल, शुभांशु को एक्सिओम-4 मिशन के लिए प्राइम एस्ट्रोनॉट के रूप में चुना गया जो नासा, स्पेसएक्स और एक्सिओम स्पेस के सहयोग से 25 जून 2025 को फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च हुआ था. इस मिशन में वह मिशन पायलट थे और कमांडर पैगी व्हिटसन के नेतृत्व में स्लावोज़ उज़्नांस्की-विस्निवस्की (पोलैंड) और टिबोर कपु (हंगरी) के साथ ISS पर गए.
उन्होंने 18 दिन तक माइक्रोएल्गी प्रयोग, मूंग और मेथी के अंकुरण, सूक्ष्मजीवों का अध्ययन और मानव मांसपेशियों पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव जैसे सात भारतीय प्रयोग किए.
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