Kashmir : संघर्ष विराम के बाद पर्यटन स्थल खाली ही नजर आए। चारों तरफ से डल झील सूनी पड़ी थी, शिकारे किनारे पर शांत खड़े थे। जानकारी के मुताबिक लाल चौक पर रौनक तो थी, लेकिन अधिकतर स्थानीय लोग ही थे। पर्यटकों की संख्या बहुत कम नजर आ री थी,
आम जनजीवन पटरी पर, लेकिन पर्यटन सूना
पहले पहलगाम में आतंकी हमला, फिर ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी गोलाबारी के कारण पर्यटक तो चले ही गए, इस दौरान हमले के कारण आम जनजीवन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। संघर्ष विराम के बाद साप्ताहिक बाजार में चहलपहल दिखाई दी थी। उसके बाद से ही आम जनजीवन पूरी तरह पटरी पर लौट आया, लेकिन पर्यटन स्थल सूने ही नजर आए।
डल झील पर सन्नाटा
जब सारी टीम जब डल झील पहुंची तो यहां सभी शिकारे किनारे पर खड़े मिले। पर्यटक न होने के वजह से शिकारे वाले भी अलसाए से दिखाई दिए। इन्हीं में से एक गनी अहमद नाम के युवक ने बताया कि, पहलगाम में हमले के बाद पर्यटक एकदम कम हो गए थे। तीन-चार दिन बाद थोड़े पर्यटक आने शुरू हुए तो पाकिस्तान की गोलाबारी ने उन्हें डरा दिया।
लेकिन अभी भी उम्मीद है कि सीजफायर के बाद जब उड़ानें शुरू होंगी तो पर्यटक की संख्या भी बढ़ेगी। पर्यटक न होने के कारण के बाजार भी सूने दिखाई दे रहे थे। करीब आधी दुकानें ही खुली थीं। फिर पाकिस्तान ने नागरिकों पर कायराना हमला कर नुकसान पहुंचाया। हर तरफ से नुकसान सबसे ज्यादा कश्मीरियों का ही है।
पाकिस्तान नहीं चाहता कि कश्मीरी मुख्यधारा से जुड़ें
लाल चौक पर चहलपहल नजर आ रह थी। अधिकतर स्थानीय लोग ही थे लेकिन उम्मीद है कि पहले जैसा सब कुछ हो जाएगा। कश्मीर के 80 फीसदी लोग पर्यटन से ही जुड़े हैं। घाटी में पर्यटन बढ़ा तो लोग मुख्यधारा से जुड़ते चले गए। पाकिस्तान ने इसी रीढ़ पर हमला किया। धर्म के नाम पर नफरत फैलाई जिसका शिकार अन्य राज्यों में कश्मीरी छात्र व अन्य लोग हुए।
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