वाराणसी। काशी घाट वॉक विश्वविद्यालय का 1000 वां दिन वाराणसी की समृद्ध पारंपरिक संगीत परंपरा को समर्पित रहा। तुलसीघाट से शुरू होकर राजघाट तक हुए घाट वॉक के दौरान सभी ने अपने-अपने पसंदीदा शास्त्रीय संगीत के संगीतज्ञों को याद किया और युवा पीढ़ी को बताया कि हॉलीवुड और बॉलीवुड में जो आप संगीत सुनते है उसका मूल शास्त्रीय संगीत ही है। काशी के संगीत साधकों ने विदेशों में देश का झंडा बुलंद किया है। भोजपुरी अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ला ने कहा कि स्पर्श वंचित कोरोना समय में काशी घाट वॉक हमारे लिए आश्वस्त का विषय है, जिसमें हम हर तरह के मानसिक दबाव से मुक्त हो सकते हैं। यह हम लोगों के लिए केवल स्वास्थ्य का मसला नहीं है, बल्कि हमारी चेतना का निर्माण भी इस माध्यम से होता है। पंडित राजन मिश्र ने जिस तरह परिवार की थाती को आगे बढ़ाया वह हमारे लिए गौरव का विषय है। जिस तरह अप्पा जी ठुमरी के लिए हमेशा याद रखी जाती हैं और वैसे ही राजन मिश्र हमेशा याद किए जाएंगे।
काशी घाट वॉक के संस्थापक न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. विजयनाथ मिश्र ने कहा कि संगीत का हमारे स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। सपा नेता किशन दीक्षित ने कहा कि हम घाट के लोग हैं हमारी आत्मा काशी के घाटों पर ही बसती है। इस दौरान मनीष खत्री, अष्टभुजा मिश्रा, श्रुति मिश्रा, महादेव विनय, गोविंद सिंह, सदन यादव, राजू माझी, शिव विश्वकर्मा, कविता गोंड, राहुल सिंह, विवेक विश्वकर्मा शामिल रहे।