Sharad Navratri 2025: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जो ज्ञान और तप की देवी मानी जाती हैं. उनकी पूजा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसके अलावा, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं. भक्तों को ज्ञान, सुख और शांति की प्राप्ति होती है. ऐसे में चलिए जानते है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि के बारे में…
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
1. स्नान और पवित्रता: सबसे पहले स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें.
2. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा: मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और उनकी पूजा करें.
3. पुष्प और अक्षत: मां ब्रह्मचारिणी को पुष्प और अक्षत अर्पित करें.
4. दीप और धूप: दीप और धूप जलाएं और मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें.
5. मंत्र जाप: मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” का जाप करें.
6. भोग: मां ब्रह्मचारिणी को चीनी या गुड़ का भोग भी लगाए, यह अकाल मृत्यु के संकट को दूर करने में मदद करता है.
भोग में पंचामृत अर्पित करें
उन्हें फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं और भोग में पंचामृत अर्पित करें. पंचामृत बनाने के लिए दूध, दही, शहद, घी और चीनी मिलाएं और इसमें केसर और कटे हुए मेवे डालें. मां ब्रह्मचारिणी को पान, सुपारी और लौंग भी अर्पित की जाती है.
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र
- मूल मंत्र: ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
वंदना मंत्र: दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू. देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा
बीज मंत्र का जप जरूर करें
नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के पूजा के दौरान उनके बीज मंत्र का जाप करना न भूलें. माता के बीज मंत्र- “ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः’ है साथ ही ‘या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः” मंत्र का जाप करना भी शुभ माना जाता है.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और आत्मसंयम की देवी हैं. उनकी पूजा से जीवन में स्थिरता और सुख की प्राप्ति होती है. वह ज्ञान और विवेक की देवी भी हैं, और उनकी पूजा से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है.
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