Anant Chaturdashi 2025: गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक है. यह पर्व भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है. गणपति बप्पा की 10 दिनों तक घर में पूजा अर्चना करने के बाद, अंतिम दिन उनकी विदाई का समय होता है, जिसे गणेश विसर्जन कहते हैं. हिन्दू धर्म में गणेश विसर्जन का अत्यधिक धार्मिक महत्व है. माना जाता है कि गणपति अपने साथ भक्तों के दुखों को लेकर जाते हैं और उनके जीवन को खुशहाली से भर देते हैं. साथ ही विसर्जन का भी खास महत्व होता है.
अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन का मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (शुभ) – 07:36 ए एम से 09:10 ए एम
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 12:19 पी एम से 05:02 पी एम
सायाह्न मुहूर्त (लाभ) – 06:37 पी एम से 08:02 पी एम
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 09:28 पी एम से 01:45 ए एम, सितम्बर 07
उषाकाल मुहूर्त (लाभ) – 04:36 ए एम से 06:02 ए एम, सितम्बर 07
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – 06 सितम्बर 2025 को 03:12 ए एम बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त – 07 सितम्बर 2025 को 01:41 ए एम बजे
अनन्त चतुर्दशी पूजा मुहूर्त – 06:02 ए एम से 01:41 ए एम, सितम्बर 07
गणेश विसर्जन का महत्व
गणेश विसर्जन सिर्फ एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह जीवन के एक महत्वपूर्ण हिस्से को दिखाता है. यह जीवन की नश्वरता और परमात्मा की अनंतता का प्रतीक है. भक्त इस दिन ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ‘ का जयकारा लगाते हुए उनसे अगले साल फिर आने की प्रार्थना करते हैं. यह विसर्जन इस बात का भी प्रतीक है कि शिव पुत्र अपने साथ भक्तों के सभी दुखों और बाधाओं को भी ले जाते हैं.
परंपराएं और विधि
गणेश विसर्जन के दिन, भक्त पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ भगवान गणेश को अंतिम विदाई देते हैं. सबसे पहले, मूर्ति के सामने उत्तर पूजा (अंतिम अनुष्ठान) की जाती है. इस दौरान, भगवान को हल्दी, कुमकुम, मोदक और अन्य प्रिय वस्तुएं अर्पित की जाती हैं. इसके बाद आरती की जाती है और भक्त उनसे जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए माफी मांगते हैं.
इसके बाद, भक्त पूरे परिवार के साथ भगवान की प्रतिमा को ढोल-नगाड़ों की थाप, भक्ति गीतों और ‘गणपति बप्पा मोरया‘ के जयकारे के साथ गणेश विसर्जन की यात्रा शुरू करते हैं. अंत में, प्रतिमा को किसी पवित्र नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है. कुछ साधक घर पर ही मिट्टी की प्रतिमाओं का विसर्जन करते हैं, जिससे जल प्रदूषण को कम किया जा सके.
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