Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि के छठे दिन करें मां कात्‍यायनी की पूजा, जानिए मंत्र, भोग और आरती

Chaitra Navratri 2024 Day 6: चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाती है. मां कात्‍यायनी को मां दुर्गा का ज्वलत स्वरूप माना जाता है. शास्त्रों के मुताबिक, माता कात्यायनी को भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री माना जाता है. वहीं, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड में माता कात्यायनी को ही छठ मैया के नाम से जाना जाता है.

मान्‍यता है कि इस दिन मां कात्यायनी की पूजा विधि-विधान से करने से हर काम में सफलता मिलती है. साथ ही शत्रुओं के ऊपर विजय की भी प्राप्त होती है. ऐसे में चलिए जानते हैं मां कात्यायनी का स्वरूप, पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती के बारें में…

Chaitra Navratri 2024: मां कात्यायनी का स्वरूप

मां कात्‍यायनी का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला है. इनका वाहन सिंह है. मां के 4 भुजाएं हैं. जबकि एक हाथ में तलवार, दूसरे में कमल और दो हाथ अभय मुद्रा और अभयमुद्रा में है.

Chaitra Navratri 2024: मां कात्यायनी की पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि के छठे दिन सबसे पहले कलश की पूजा करें. इसके बाद मां दुर्गा और उनके स्वरूप मां कत्यायनी की पूजा की जाती है. पूजा विधि शुरू करने से पहले मां का ध्यान करते हुए एक फूल हाथ में लें और मां को अर्पित कर दें. फिर मां को कुमकुम, अक्षत, फूल आदि चढ़ाने के बाद सोलह श्रृंगार का समान चढ़ाएं.

इसके बाद मां को उनका प्रिय शहद का भोग लगाएं. यदि आप चाहे तो मिठाई आदि का भोग लगा सकते हैं. फिर जल अर्पित करें और दीपक-धूप जलाकर मां के मंत्र का जाप करें. इसके साथ ही दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और अंत में आरती करके मां से भूल चूक की माफी मांग लें.

Chaitra Navratri 2024: मां कात्यायनी का आराधना मंत्र

1.या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

2.चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना|

कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि||

Chaitra Navratri 2024: मां कात्यायनी आरती

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।

जय जग माता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा।

कई नाम हैं, कई धाम हैं।

यह स्थान भी तो सुखधाम है।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।

हर जगह उत्सव होते रहते।

हर मंदिर में भक्त हैं कहते।

कात्यायनी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।

अपना नाम जपाने वाली।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

ध्यान कात्यायनी का धरियो।

हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी।

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

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