Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन घरों और मंदिरों में भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस 10 दिवसीय महोत्सव में मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा की पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन मां पार्वती ने अपने शरीर के उबटन से गणेश जी को जन्म दिया था. यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है. पहले दिन गणेश चतुर्थी को बप्पा को स्थापित किया जाता है और अंतिम दिन यानी अनंत चतुर्दशी पर उनको विदाई दी जाती है.
भगवान गणेश की स्थापना और पूजा का मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 अगस्त 2025 को दोपहर 1:53 बजे से लेकर 27 अगस्त को दोपहर 3:43 बजे तक रहेगी. उदिया तिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त यानी आज मनाया जाएगा. इस दौरान गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त 27 अगस्त को सुबह 11 बजकर 01 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 40 मिनट तक रहने वाला है. इसके बाद, दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 05 मिनट तक रहेगा. गणपति की पूजा का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 05 मिनट से लेकर दोपहर में 1 बजकर 40 मिनट तक है.
गणेश चतुर्थी पर पूजा की विधि
गणेश चतुर्थी के दिन आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए. इसके बाद घर के पूजा स्थल को भी स्वच्छ करना चाहिए और वहां गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए. जिस स्थान पर गणेश जी को स्थापित करने वाले हैं वहां भी साफ-सफाई अवश्य करें. शुभ मुहूर्त में गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करें. मूर्ति को स्थापित करने के लिए आपको चौकी बिछानी चाहिए और उस पर लाल, पीला या हरा कपड़ा बिछाना चाहिए. इसके बाद गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करें और उन्हें फूल, दुर्वा, मोदक आदि अर्पित करें. इसके बाद दीपक जलाकर गणेश जी के मंत्रों का जप आपको करना चाहिए. इसके बाद गणेश चतुर्थी की व्रत कथा का पाठ आपको सपरिवार करना चाहिए और अंत में आरती करनी चाहिए. इसके बाद प्रसाद का वितरण करना चाहिए. इस दिन विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करने से और घर में गणपति जी की मूर्ति को स्थापित करने से जीवन की विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं.
गणपति जी का भोग
लड्डू – गणेश जी को लड्डू अर्पित करना शुभ माना जाता है. आप बेसन या बूंदी के लड्डू चढ़ा सकते हैं.
मोदक – गणेश जी का प्रिय भोग मोदक है. पुराणों में इस बात का जिक्र है कि बचपन में गणेश जी अपनी माता पार्वती द्वारा बनाए गए मोदक तुरंत ही खा जाते थे.
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