Exercises: 30 की उम्र के बाद महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव शुरू हो जाते हैं। कैल्शियम की कमी और हार्मोनल बदलाव के कारण हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। महिलाओं के लिए 30 की उम्र के बाद हड्डियों की मजबूती बेहद जरूरी हो जाती है। इस उम्र के बाद बोन डेंसिटी (Bone Density) कम होना शुरू हो जाता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस, जोड़ों का दर्द और फ्रैक्चर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इन योगासनों का करें अभ्यास–
वृक्षासन
वृक्षासन बैलेंस और पोस्टर को सुधारने के साथ हड्डियों और पैरों को मजबूती देता है। यह ऑस्टियोपोरोसिस से बचाने में मददगार है।
कैसे करें-वृक्षासन एक खड़ा होकर किया जाने वाला योग आसन है, जिसमें एक पैर पर संतुलन बनाकर दूसरे पैर को खड़े पैर की जांघ पर रखा जाता है, जिससे पेड़ जैसी स्थिर मुद्रा बनती है
त्रिकोणासन
त्रिकोणासन रीढ़, पैर और कूल्हों की हड्डियों को स्ट्रेंथ देता है। कैल्शियम अब्जॉर्प्शन को भी बेहतर बनाता है।
कैसे करें–अपने पैरों को लगभग 3-4 फीट की दूरी पर फैलाकर सीधे खड़े हो जाएं। साँस लेते हुए अपने दोनों हाथों को कंधे के स्तर तक फैलाएं। साँस छोड़ते हुए अपने शरीर को दाहिनी ओर झुकाएं।
अपने दाहिने हाथ से दाहिने टखने या पैर के आसपास ज़मीन पर टिकाएं और बाएँ हाथ को छत की ओर सीधा रखें। अपना सिर घुमाकर बाईं ओर की उंगलियों पर नज़र रखें। सामान्य श्वास लें और इस मुद्रा में 10-30 सेकंड तक रहें। साँस लेते हुए धीरे-धीरे सीधा हो जाएं और हाथों को वापस कंधे के स्तर पर लाएं। बाईं ओर भी यही प्रक्रिया दोहराएं.
सेतुबंधासन
सेतुबंधासन रीढ़, कूल्हों और पैरों की हड्डियों को मजबूत बनाता है। महिलाओं में बैक पेन और हड्डियों की कमजोरी को कम करता है।
कैसे करें- सेतुबंधासन एक पुल के आकार की योगासन मुद्रा है जिसमें पीठ के बल लेटकर पैरों को घुटनों से मोड़कर कूल्हों के पास ले आया जाता है और फिर शरीर के ऊपरी हिस्से को कूल्हों से ऊपर उठाया जाता है, जिससे एक पुल जैसा आकार बनता है.
पश्चिमोत्तानासन
इस आसन का अभ्यास हड्डियों और मांसपेशियों की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाता है। कमर और पैरों की हड्डियों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
कैसे करें- पैरों को सामने की ओर सीधा फैलाकर बैठ जाएं. रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और पंजों को अपनी ओर खींचे.साँस लेते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाएं और ऊपर की ओर खींचें.
साँस छोड़ते हुए, कूल्हे के जोड़ से आगे की ओर झुकें. अपनी ठोड़ी को पंजों की ओर ले जाने की कोशिश करें और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें. अपने हाथों से पैरों पर जहां भी पहुँचें, बिना किसी दबाव के पकड़ें. अगर संभव हो, तो पंजों को पकड़ें और उन्हें आगे बढ़ाने में मदद के लिए खींचे. इस स्थिति में सामान्य श्वास लेते हुए कुछ देर तक रहें. साँस लेते हुए धीरे-धीरे सीधे ऊपर आ जाएं और साँस छोड़ते हुए हाथों को वापस जांघों पर रख लें.
उत्कटासन
उत्कटासन पैरों, घुटनों और जांघों की हड्डियों को मजबूत करता है। यह आसन मसल्स को भी टोन करता है।
कैसे करें- अपने पैरों को हिप्स की चौड़ाई के बराबर दूरी पर रखते हुए सीधे खड़े हों। गहरी साँस लेते हुए अपने हाथों को सीधा करके सिर के ऊपर उठाएं। साँस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ें और कूल्हों को नीचे की ओर ले जाएं, जैसे आप एक काल्पनिक कुर्सी पर बैठ रहे हों। इस स्थिति में रीढ़ की हड्डी को सीधा और लंबा रखें। जांघों की मांसपेशियों को मजबूत रखें और कोर को कस लें। हाथ फर्श के समानांतर या जमीन की ओर हों। 5 से 10 गहरी साँसों के लिए इसी स्थिति में बने रहें। धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए खड़े हो जाएं और अपने हाथों को नीचे लाकर वापस ताड़ासन (पर्वत मुद्रा) में आ जाएं।
सूर्य नमस्कार
यह संपूर्ण योगासन है जो पूरे शरीर की हड्डियों और मांसपेशियों को सक्रिय करता है। रक्त संचार बेहतर करके बोन हेल्थ को बढ़ाता है।
सूर्य नमस्कार के 12 प्रकार होते हैं-
1. प्रणामासन (नमस्कार मुद्रा):
सीधे खड़े होकर छाती के सामने हाथों को नमस्कार मुद्रा में रखें।
2. हस्तउत्तानासन
साँस लेते हुए हाथों को सिर के ऊपर उठाएं और धड़ को थोड़ा पीछे झुकाएं।
3. पादहस्तासन
साँस छोड़ते हुए कमर से आगे झुकें और हाथों को पैरों के पास ज़मीन पर रखें, माथे को घुटनों के पास लाएं।
4. अश्व संचालनासन
एक पैर (जैसे बायाँ) को पीछे ले जाएं, घुटना मोड़ें और सिर को ऊपर उठाएं।
5. अधो मुख श्वानासन
साँस छोड़ते हुए दूसरे पैर को भी पीछे ले जाएं और कूल्हों को ऊपर उठाकर उल्टे ‘वी’ आकार में आएं।
6. अष्टांग नमस्कार
शरीर को धीरे-धीरे नीचे लाएं ताकि अंगूठे, घुटने, छाती, हाथ और ठुड्डी ज़मीन को स्पर्श करें।
7. भुजंगासन
साँस लेते हुए कूल्हों को नीचे लाएं और अपनी पीठ को झुकाकर सिर को ऊपर उठाएं, भुजाएँ सीधी हों।
8. पुनः अधो मुख श्वानासन:
साँस छोड़ते हुए फिर से पर्वत आसन या अधो मुख श्वानासन की स्थिति में आएं।
9. अश्व संचालनासन (दूसरी तरफ़):
साँस लेते हुए पैर को आगे लाएं (यदि पहले बायां पैर पीछे था, तो अब दायां पैर आगे होगा)।
10. पादहस्तासन (पुनः):
साँस छोड़ते हुए दूसरे पैर को आगे लाएं।
11. हस्तउत्तानासन (पुनः):
साँस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं।
12. प्रणामासन (पुनः):
साँस छोड़ते हुए वापस नमस्कार मुद्रा में आएं।