धराली आपदा में बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी, भागीरथी में बनी झील ने बढ़ाई चिंता, खराब मौसम भी डाल रहे बाधा

Uttarakhand: उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में 5 अगस्त को बादल फटने और भूस्खलन से आई तबाही के बाद राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं. अब तक 1273 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, लापता लोगों की तलाश की जाएगी. अब लगातार बारिश और खराब मौसम बचाव कार्यों में बाधा डाल रहे हैं. हर्षिल के पास तेलगाड में मलबे के कारण भागीरथी नदी में बनी एक बड़ी झील राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय बनी हुई है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि इस खतरे को कम करने के लिए 30 लोगों का दल मैनुअल तरीके से झील को चैनलाइज करेगा, क्योंकि सड़कों के बंद होने से भारी मशीनें नहीं पहुंच पा रही हैं.

झील बनी चिंता का विषय

पांच अगस्त का आई आपदा में तेलगाड से मलबा आने के कारण भागीरथी नदी में एक कृत्रिम झील बन गई है. यह झील चिंता का विषय बनी हुई है. पोकलेन के माध्यम से मलबा हटाकर झील के पानी की निकासी की योजना बनाई गई थी, इसके लिए अधिकारियों ने निरीक्षण भी किया था. पर रास्ता खुलने और पोकलेन के पहुंचाने में कुछ समय लग सकता है, ऐसे में मलबा हटाकर जल निकासी के लिए मैनुअल काम करने का फैसला लिया गया है. 

खतरे की आशंका

यह जलाशय उत्तराखंड के लिए नई मुसीबत ला सकता है. अगर मलबे का बांध टूटता है या पानी का दबाव बढ़ता है, तो बाढ़ का खतरा और बढ़ जाएगा. धराली और हर्षिल जैसे गांव पहले से ही बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित हैं. अब यह जलाशय उनके लिए और जोखिम पैदा कर रहा है. सेना और प्रशासन को इस स्थिति पर नजर रखनी होगी, ताकि किसी बड़े हादसे से बचा जा सके.

सीएम लगातार कर रहे समीक्षा

मुख्यमंत्री धामी ने रविवार शाम देहरादून में आपदा प्रबंधन केंद्र में अधिकारियों के साथ बैठक की और राहत कार्यों की समीक्षा की. उन्होंने एबीपी लाइव को बताया कि हमारी प्राथमिकता अधिकतम लोगों को सुरक्षित निकालना और सहायता पहुंचाना है. नुकसान का आकलन करने के लिए एक कमेटी गठित की गई है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा दिया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह लगातार संपर्क में हैं और केंद्र सरकार हर संभव मदद प्रदान कर रही है.

लापता लोगों की तलाश तेज

धराली में खोज और बचाव अभियान का दूसरा चरण शुरू हो गया है. उत्तराखंड के डीजीपी दीपम सेट ने रविवार को पुलिस मुख्यालय में बैठक कर अधिकतम मानव और तकनीकी संसाधनों का उपयोग करने के निर्देश दिए. आईजी एसडीआरएफ अरुण मोहन जोशी को इंसिडेंट कमांडर और कमांडेंट एसडीआरएफ अर्पण यदुवंशी को डिप्टी कमांडर नियुक्त किया गया है. डीजीपी ने लापता लोगों की तलाश के लिए सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन पर विशेष ध्यान देने को कहा.

24 घंटे अलर्ट रहने की निर्देश

घटनास्थल को रेड फ्लैग करने के बाद वहां पर आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करने के लिए कहा गया. डीजीपी ने ड्रोन, थर्मल इमेजिंग कैमरे, विक्टिम लोकेटिंग कैमरे और डॉग स्क्वाड जैसी तकनीकी और मानव संसाधन क्षमता का पूर्ण उपयोग कर सर्च अभियान तेज करने को कहा. साथ ही पुलिस को 24 घंटे अलर्ट मोड पर रहकर हर गतिविधि की रीयल टाइम रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए ताकि किसी भी आवश्यकता या आपात स्थिति में त्वरित निर्णय लिया जा सके.

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