Draupadi Murmu: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को यूपी के बरेली में स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के 11वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुई. इस दौरान उन्होंने पशु चिकित्सा क्षेत्र के मेधावियों को पदक व उपाधि देकर सम्मानित किया साथ ही उन्हें बधाई भी दी.
इस कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि इस समारोह में छात्राओं की बड़ी संख्या में देखकर गर्व की अनुभूति होती है. बेटियां अन्य क्षेत्रों की तरह पशु चिकित्सा क्षेत्र में भी आगे रही हैं. यह बहुत ही शुभ संकेत है. आप सब ने निरीह और बेजुबान पशुओं की चिकित्सा और कल्याण के क्षेत्र को अपने करियर के रूप में चुना है. इस चुनाव के पीछे ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया:’ की भारतीय सोच का भी योगदान रहा है.
जीव-जंतुओं में ईश्वर की उपस्थिति को देखती है हमारी संस्कृति
उन्होंने कहा कि ‘ईशावास्यम् इदम् सर्वम्’ के जीवन मूल्य पर आधारित हमारी संस्कृति, सभी जीव-जंतुओं में ईश्वर की उपस्थिति को देखती है. पशुओं से हमारे देवताओं व ऋषि-मुनियों का संवाद होता है. भगवान के कई अवतार भी इसी विशिष्ट श्रेणी में हैं. चिकित्सक या शोधकर्ता के रूप में कार्य करें तो बेजुबान पशुओं के कल्याण की भावना मन में हो. पशु और मानव में एक परिवार का रिश्ता है.
आईवीआरआई के योगदान को सराहा
इतना ही नहीं राष्ट्रपति मुर्मू ने ये भी कहा कि पशुओं में बीमारियों की रोकथाम में टीकाकरण की अहम भूमिका है. पशु चिकित्सा अनुसंधान में आईवीआरआई से जुड़े वैज्ञानिकों व शोधकर्ताओं का योगदान सराहनीय है. इस संस्थान ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों को प्राप्त किया है. राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में अनके टीके यहीं पर विकसित किए गए हैं. यह गर्व की बात है.
राष्ट्रपति ने पशुओं को बताया जीवन धन
राष्ट्रपति ने कहा कि पशु हमारे लिए ‘साधन’ (परिवहन के लिए) और किसानों के लिए ‘बल’ रहे हैं. पशु के बिना किसान आगे नहीं बढ़ सकता है. पशु जीवन धन हैं. उनके बिना हम जिंदगी सोच नहीं सकते. इस दौरान उन्होंने विलुप्त हो रहे जीव-जंतुओं पर चिंता जताते हुए कहा कि जब विभिन्न प्राणियों का संवर्धन होगा, तब जैव-विविधता बढ़ेगी और यह धरती तथा मानव जाति खुशहाल होगी. साथ ही उन्होंने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान जैसी संस्थाओं से अपील है कि वे जैव-विविधता को बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाएं और आदर्श प्रस्तुत करें.
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