Manoj Sinha: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (LG) मनोज सिन्हा ने पिछले तीन दशकों में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों के शिकार कश्मीरी नागरिकों के परिवारों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने 80 से अधिक आतंकवाद पीड़ित परिवारों बातचीत की. उन्होंने कहा कि जो सरकारी नौकरी के हकदार हैं, वे अपने मामले संबंधित उपायुक्तों को प्रस्तुत करें. एक महीने के भीतर उन्होंने नियुक्ति दी जाएंगी.
वहीं, जो लोग व्यवसाय शुरू करना चाहते है, उन्हें वित्तीय सहायता दी जाएगी. इसके अलावा, उन्होंने ये भी कहा कि जिन लोगों को आतंकियों ने मारा, उनके परिवार वालों की तब के प्रशासन ने कोई मदद नहीं दी. लेकिन अब पीड़ित परिवारों को नौकरी भी मिलेगी और केस दर्ज नही हुआ तो केस भी दर्ज होगा.
आतंकवाद पीडितों को दशकों तक रखा गया हाशिए पर
एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि आज पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा बेरहमी से मारे गए कश्मीरी नागरिकों के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की. दशकों तक, उन्हें हाशिए पर रखा गया और उनकी आवाज़ नहीं सुनी गई. न्याय से वंचित किया गया. उनके दर्द को नजरअंदाज किया गया, उनकी कहानियों को अनसुना किया गया और सच को जानबूझकर दबाया गया, लेकिन अब सैकड़ों परिवारों को यह कहने का साहस और समर्थन मिला है कि उनके प्रियजनों को पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मार डाला.
पीड़ितों की आवाज सामने लाने के लिए प्रतिबद्ध
उन्होंने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि 2019 से पहले आतंकवादियों के अंतिम संस्कार की अनुमति दी गई थी, जबकि आतंकवादियों द्वारा मारे गए हजारों आम कश्मीरियों को भुला दिया गया और उन्हें स्वीकार नहीं किया गया. हालांकि भारत सरकार पीड़ितों की आवाज को सामने लाने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.
राज्यपाल ने कहा कि मुझे पता है, वर्षो तक आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र के दबाव में सच्चाई को दबा दिया गया. अब, परिवार कश्मीर के अंदर पाकिस्तान और उनके समर्थकों को बेनकाब कर रहे हैं.