न्यूक्लियर एनर्जी को लेकर मोदी सरकार का बड़ा प्लान, अब नियमों में होगा बदलाव

Nuclear energy: भारत सरकार न्यूक्लिर एनर्जी सेक्टर को कंट्रोल करने वाले कई नियमों में परिवर्तन करने पर विचार कर रही है। वह साल 2047 तक 100 गीगावाट एटमिक एनर्जी के प्रोडक्शन का लक्ष्य हासिल करने के लिए निजी कंपनियों को भागीदारी की अनुमति देने की खातिर ऐसा करना चाहती है। सरकारी सूत्रों के अनुसार बताया गया कि निजी कंपनियों को भागीदारी की अनुमति देने के लिए एटमिक एनर्जी एक्ट में और न्यूक्लियर पावर प्लांट के निर्माण के लिए उपकरणों के आपूर्तिकर्ताओं पर जवाबदेही कम करने के लिए न्यूक्लियर डैमेज के लिए सिविल लाइबिलिटी एक्ट में भी संशोधन करने के प्रयास में है।

2020 के बजट में न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर को खोलने की घोषणा

सूत्रों द्वारा बताया गया कि सरकार एटामिक एक्ट में नियामक सुधारों पर भी विचार कर रही है और इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड अथॉरिजेशन सेंटर (इनस्पेस) के मॉडल का मूल्यांकन कर रही है, जो स्पेस क्षेत्र के लिए प्रमोटर एंड रेगुलेटर के रूप में काम करता है, जिसे 2020 में प्राइवेट भागीदारी के लिए खोल दिया गया था। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020 के बजट में न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर को खोलने की घोषणा की, जिसे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों तक सीमित रखा गया था।

देश में 8.7 गीगावाट बिजली का उत्पादन

बता दें कि देश के लिए भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड न्यूक्लियर पॉवर प्लांट का संचालन करता है, जो देश में 8.7 गीगावाट बिजली का उत्पादन करता हैं। सीतारमण ने 20,000 करोड़ रुपये के लागत से साथ छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) के अनुसंधान और विकास के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन की और 2033 तक 5 स्वदेशी रूप से विकसित एसएमआर को लागू करने की भी घोषण की थी।

2047 तक 100 गीगावाट न्यूक्लियर एनर्जी प्रोडक्शन का लक्ष्य

एनएसजी की छूट 2008 के ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार के बाद मिली थी। लेकिन, 2010 का न्यूक्लियर डैमेज के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम निजी क्षेत्र के लिए एक बाधा साबित हुआ। अब सरकार को उम्मीद है कि 2047 तक 100 गीगावाट न्यूक्लियर एनर्जी प्रोडक्शन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्राइवेट सेक्टर निवेश करेगा।

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