एक मान्‍यता ऐसी भी….

छत्‍तीसगढ़। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के ग्राम कांगेरवैली नेशनल कोटमसर में हर 3 वर्ष में मां बस्ताबुंदिन की यात्रा होती हैं, जानकारी के मुताबिक यहां माता को काला चश्मा चढ़ाने की परंपरा हैं। यहां के बुजुर्गों का मानना है कि चश्मा चढ़ाने से मां उनके जंगलों को बुरी नजर से बचाती हैं,

इस संबंध में एक स्थानीय ने बताया कि यहां 3 वर्ष में एक बार आयोजन किया जाता है, बड़ा मेला भी लगता है। खेती को किसी की नजर न लगे इसलिए चश्मा चढ़ाया जाता है। यहा यह परंपरा कई पीढ़ियों से चलता आ रहा है।

कांगेर वैली मे निवास करने वाले जानकार बताते हैं, कि पहले गांव के एक ही परिवार के द्वारा माता की पूजा कर मां को काला चश्मा भेंट किया जाता था, लेकिन आज पूरे क्षेत्र वासियों ने इस परंपरा को अपना लिया हैं।

वहीं मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस मेले का आयोजन जल्‍द होना हैं। मां की कृपा से इस वर्ष जंगल हरे भरें रहेंगे, भक्त इस बार भी माता को चश्मा चढ़ाकर अपनी मनौती मांगेंगे हैं। पुजारी बताते हैं कि माता को चढ़ाया गया चश्मा भक्तों में प्रसाद के रुप में वितरित किया जाता हैं।

इन चश्मों को भक्त पहनकर गांव की परिक्रमा करते हैं, ताकि पूरे गांव और ग्राम वासियों पर देवी मां बास्ताबुंदिन की कृपा बनी रहें।

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