कैसे बिगड़ा घाटी का महौल…

जम्मू कश्मीर। जम्मू-कश्मीर राज्य के बड़गाम में हाल ही में तहसीलदार कार्यालय में कश्मीरी पण्डित कर्मचारी राहुल भट्ट की हत्या कर दी गई। इससे घाटी में लोगों में भारी आक्रोश उत्पन्न हो गया है। इस घटना के खिलाफ लोगों का प्रदर्शन इतना उग्र रहा कि इसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। राज्य में अमन-चैन का माहौल बिगाड़ने की यह सुनियोजित साजिश है जिसे प्रशासन को गम्भीरता से लिया है। कश्मीरी टाइगर्स नामक एक आतंकी संघटन ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली है। दिसम्बर 2021 में जवानों की बस पर हुए हमले में इस संघटन का नाम सामने आया था।

अनुच्छेद 370 समाप्त किये जाने के बाद कश्मीर में गैर-मुस्लिमों पर हमले की बढ़ती घटनाएं चिन्ताजनक है। यहां अगस्त 2019 से मार्च 2022 तक अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के 14 लोगों की हत्या की गयी, जिसमें अनेक कश्मीरी पण्डित भी शामिल हैं। राहुल भट्टके पिता का कहना है कि हमलावरों ने नाम पूछकर गोली मारी। इससे कार्यालय में भगदड़ मच गयी। गम्भीर रूप से घायल राहुल को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गयी। इस घटना से अल्पसंख्यक हिन्दू समाज के लोगों में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ गयी है। राज्य में कश्मीरी पण्डितों को लक्ष्य बनाकर उन्हें मारना, यह कार्य प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद वहां विकास की गतिविधियां काफी बढ़ी हैं लेकिन आतंकी हरकतें बढ़ने से अनेक सवाल भी खड़े होते हैं, जिसे प्रशासन को गम्भीरता से लेने की आवश्यकता है। कश्मीरी पण्डितों के पुनर्वास के लिए काफी कार्य किया जा रहा है लेकिन इसके पूर्व सुरक्षा व्यवस्था के मोर्चे पर काफी कार्य करने की आवश्यकता है। राहुल भट्टकी हत्या साधारण घटना नहीं है। इससे सरकारी कर्मचारी अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। राज्य में सक्रिय आतंकी संघटनों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाने की जरूरत है। इस घटना को लेकर हो रही सियासत पूरी तरह से अनुचित है। आतंकी तत्वों का जब तक समूल सफाया नहीं होगा, तब तक वहां अमन-चैन का माहौल नहीं बन पाएगा।

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