डायबिटीज के रोगियों में इस मानसिक बीमारी का होता है अधिक खतरा: विशेषज्ञ

स्‍वास्‍थ्‍य। पिछले एक दशक में दुनियाभर में जिन बीमारियों का खतरा सबसे अधिक बढ़ा है, डायबिटीज रोग उनमें से एक है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे ‘साइलेंट किलर’ रोग के नाम से जानते हैं, इसका कारण यह है कि डायबिटीज, समय के साथ शरीर को कमजोर करती जाती है। इतना ही नहीं डायबिटीज के कारण शरीर में कई प्रकार की अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है, जो कुछ स्थितियों में जानलेवा भी हो सकती हैं। डायबिटीज के रोगियों को हृदय रोग, धुंधला दिखाई देने, कमजोरी सहित कई अन्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक यह वर्षों से ज्ञात है कि टाइप-2 मधुमेह, स्ट्रोक और हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाती है। वहीं हाल के अध्ययनों से पता चला है कि मधुमेह के कारण डेमेंशिया जैसे मानसिक रोगों का जोखिम भी बढ़ जाता है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल द्वारा किए गए अध्ययन में इसका पता चला है। आइए आगे की स्लाइडों में इस अध्ययन के बारे में जानते हैं। डायबिटीज के कारण डेमेंशिया का खतरा:- हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि जिन लोगों को डायबिटीज, विशेषकर टाइप-2 डायबिटीज होता है, उनमें डेमेंशिया विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। डेमेंशिया के कारण चीजों को याद रखने, सोचने या किसी निर्णय तक पहुंचने में कठिनाई होती है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर डॉ एंड्रयू ई बडसन कहते हैं, डायबिटीज रोगियों में डेमेंशिया विकसित होने के कई कारण हो सकते हैं, इसमें डायबिटीज का मस्तिष्क पर पड़ने वाला असर सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। अध्ययन में क्या पता चला:- लंदन के सरकारी विभागों में 10,308 कर्मचारियों पर किए गए अध्ययन में मधुमेह के शुरुआती की उम्र और डिमेंशिया के विकास के बीच संबंध की जांच की गई। शोधकर्ताओं इसमें से हर 1,000 लोगों की अलग-अलग सालाना जांच की जिसमें 70 साल की उम्र तक बिना मधुमेह वाले लोगों में डेमेंशिया की दर 8.9 प्रतिशत पाई गई। तमाम आयु वर्ग के लोगों पर किए गए अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि जितनी कम उम्र में आपमें डायबिटीज का पता चलता है, डेमेंशिया के विकसित होने का खतरा उतना अधिक हो सकता है। क्या कहते हैं अध्ययनकर्ता:- प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ बडसन लिखते हैं, कई कारण हैं, जिसमें टाइप-2 मधुमेह के निदान की आयु और डेमेंशिया के जोखिम के बारे में पता चलता है। इसमें से एक कारण मधुमेह के हृदय पर पड़ने वाले प्रभावों से संबंधित है। चूंकि हृदय का स्वास्थ्य, मस्तिष्क के स्वास्थ्य से संबंधित होता है। हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर, दोनों स्ट्रोक से जुड़े हैं, यह कुछ स्थितियों में डेमेंशिया का भी कारण बन सकते हैं। कुछ अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि स्ट्रोक को नियंत्रित किए जाने पर भी डायबिटीज के कारण डेमेंशिया का खतरा हो सकता है।

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