दीपावली पर दीपक और बंधनवार लगाते समय इन बातों का रखें ध्यान…

वास्तु। भगवान विष्णु की प्रिया महालक्ष्मी जी के स्वागत में कई-कई दिनों पहले से ही हम तैयारियों में जुट जाते हैं। घरों और व्यापारिक संस्थानों की साफ-सफाई, रंग-रोगन के उपरांत खूब सजाया जाता है। धन-वैभव, ऐश्वर्य और सौभाग्य की कामना से दीपावली पर मां लक्ष्मी, रिद्धि-सिद्धि के प्रदाता श्रीगणेश जी और धन के देवता कुबेर का पूजन अन्य देवी-देवताओं सहित किया जाता है। दीपावली की सजावट में शुभता का प्रतीक मानी जाने वाले तोरण और दीए इनका भी अपना विशेष महत्व होता है। यदि वास्तु नियमों के अनुसार दिशाओं और रंगों को ध्यान में रखकर कार्यस्थल या घर की सजावट की जाए तो निश्चित रूप से हमें शुभ परिणाम प्राप्त होंगे एवं खुशियां, सफलता और समृद्धि हमारे जीवन में दस्तक देंगी। ऐसे बांधें बंधनवार:- मुख्य द्वार पर बाँधने वाले तोरण को बंधनवार भी कहा जाता है। मां लक्ष्मीजी के स्वागत में व इन्हें प्रसन्न करने के लिए दरवाजे पर इसे बांधना शुभ माना गया है। तोरण का चयन घर की दिशा अनुसार रंगों और आकार को ध्यान में रखकर करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। यदि आपके घर का मुख्य द्वार पूर्व में है तो हरे रंग के फूलों और पत्तियों का तोरण लगाना सुख-समृद्धि को आमंत्रित करता है। धन की दिशा उत्तर के मुख्य द्वार के लिए नीले या आसमानी रंग के फूलों का तोरण लटकाना चाहिए। यदि घर का प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा में है तो लाल, नारंगी या इससे मिलते-जुलते रंगों से द्वार को सजाना चाहिए। पश्चिम के मुख्य द्वार के लिए पीले रंग के फूलों के तोरण लाभ और उन्नति में सहायक होंगे। ध्यान रहे पूर्व और दक्षिण के द्वार पर किसी भी धातु से बने तोरण को नहीं लगाना चाहिए। पश्चिम और उत्तर दिशा के द्वार पर धातु का तोरण लगाया जा सकता है। इसी प्रकार उत्तर, पूर्व और दक्षिण दिशा में बने प्रवेश द्वार पर लकड़ी का तोरण लगाया जा सकता है,लेकिन पश्चिम दिशा में लकड़ी से बने तोरण को लगाने से बचना चाहिए। आम और अशोक के ताज़ा पत्तों से बनी बंधनवार आप किसी भी दिशा में लगा सकते हैं,पर ध्यान रहे कि ताजा फूलों अथवा पत्तियों के बंधनवार जब सूखने लगे तो उसे हटा देना चाहिए। सूखी या मुरझाई हुई हुई बंधनवार नकारात्मक ऊर्जा फैलाती है।

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